"स्व0 बाबूसाहेब चौधरीजी : जन्म शताब्दी दिवस"
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पश्चिम बंगालक शस्य श्यामल भूमि स्थित कोलकाता महानगर एवं उपनगर मे मिथिला-मैथिलीक आंदोलनक श्रीगणेश व शंखनाद केनिहार मैथिली सेनानी स्व0 हरिश्चन्द्र मिश्र 'मिथिलेन्दु' जीक उपरांत स्व0 बाबूसाहेब चौधरी जीक जन्म शताब्दीक पावन अवसर पर "मिथिला विकास परिषद", कोलकाता एहि पुण्यात्मा मैथिल दधिचि कें विनम्र आदरांजली समर्पित करैत आह्लादित भऽ रहल अछि ।
27 अगस्त, 1916 कें पैतृक गाम 'दुलारपुर' मे अत्यंत साधारण परिवार मे एहि जुझारू मैथिल नायकक आविर्भाव भेल छल । साधारण शिक्षा प्राप्त कय यौवनावस्था मे कोलकाता आबि गेलाह आओर एहिठाम "पश्चिम बंगाल परिवहन विभाग" (West Bengal State Transport) मे बसक "टाइम कीपर"क चाकरी प्रारंभ कयलनि । स्व0 चौधरीजी मिथिला राज्यक प्रबल समर्थक छलाह । यौवन अवस्था सँ मृत्युपर्यन्त धरि मैथिलक प्रति हिनक समर्पण वस्तुतः मिथिला-मैथिली केनिहार मैथिलीसेवीक लेल सदैव स्मरण राखल जायत । मैथिली-भाषा, मैथिली साहित्यक विकास, मैथिलक धरोहर कें सम्मान प्रदान करेबाक प्रति प्रतिबद्धता, हावड़ा सँ मिथिला क्षेत्र मे रेलगाड़ीक परिचालन हेतु कयल गेल हिनक संघर्ष व योगदान कें मिथिलावासी सतत् हृदय मे धारण कयने रहत ।
परिषदक अध्यक्ष श्री अशोक झाजी हुनक जीवन-दर्शन सँ अवगत कराबैत जानकारी दैत कहलथि जे सादगी जीवन, गरीबी सँ ग्रसित व त्रस्त झकझोरल जीवनयापन अभावक उपरांतहुँ मृत्युपर्यन्त, चौधरीजी कोनो अवस्था मे नञि थकलैथि आ नञि हारलैथि । "अखिल भारतीय मैथिल संघ"क अभिभावक बनि एवं नेतृत्व प्रदान करैत संघ रूपी हऽरक लागैन सदैव पकड़ि मैथिलत्वक अनुपम सेवा-भाव जागृत करैत जगजियार भऽ गेलैथ स्व0 चौधरीजी । जखन कि कालक्रमे "संघ" कें मैथिलक चरित्रक मुताबिक कयेक बेर विघटनक दौर सँ ससरैत एवं टूटैत देखैत रहलाह । स्व0 काॅमरेड भोगेन्द्र झाजीक आन्दोलनात्मक छविक स्पष्ट प्रभाव हिनक व्यक्तित्वक प्रबल आधार बनल । हिनक बहुतो तथाकथित अनुयायी सम्प्रति मौजूद छथि जे चौधरी जीक उत्तराधिकारीक रूप मे स्वयं कें प्रयुक्त करैत छथि लेकिन दुखक गप्प जे एहि महान सेनानीक जन्म शताब्दीक अनुपम दिवसक पावन अवसर पर एक आंजुर पुष्प समर्पित करबाक प्रयोजनो नञि बुझि सकलाह ई लोकैन । चौधरीजी अपन यौवनावस्थहिं सँ कोलकाता एवं उपनगरीय कोलकाता क्षेत्र मे मुख्यरूपें मिथिलाक मध्यम वर्गक संग कनहा सँ कनहा मिलबैत शिक्षा एवं रोजगार हेतु कयल गेल काज, तत्कालीन मैथिल समाज मे नव ऊर्जाक संचार संचारित कयलक ।
"मिथिला विकास परिषद"क अध्यक्ष श्री अशोक झाजी बतौलन्हि जे "विद्यापति पर्व समारोह"क नाम पर कार्यक्रम आयोजित करैत "अखिल भारतीय मैथिल संघ" केर माध्यमें सभ मैथिलजन कें एकठाम एकत्रित करब इएह मात्र उद्वेश्य रहैत छल आयोजन करबाक । चौधरीजी अपन जीवनयापनक हेतु आवासस्थली एवं कर्मस्थली बनेलथि "खैलात घोष लेन" स्थित "मिथिला आर्ट प्रेस" नामक प्रेसक स्थापना कय के । हिनक चाकरीक समय मुख्य सहयोगी छलथिन दरभंगा लऽग अवस्थित "सुन्दरपुर" गामक मैथिली अनुरागी स्व0 पं0 देवनारायण झाजी । विदित हो जे स्व0 देवनारायण झाजी ओहि समय स्व0 चौधरीजीक प्रबल समर्थक छलाह आओर देवनारायण बाबू सेहो पश्चिम बंगाल परिवहन निगम मे कार्यरत् छलाह ।
"मिथिला विकास परिषद"क अध्यक्ष श्री अशोक झाजी सँ परिषदक राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजकुमार झा जखन स्व0 चौधरीजीक जन्म शताब्दीक अवसर पर जानकारी संबंधित जिज्ञासा कयलनि तखन श्री अशोक झाजी बतौलन्हि जे हमर स्पष्ट मान्यता अछि - "सैद्धांतिक मतभेद विलग बात थिकैक मुदा चौधरीजीक मृत्युक उपरांत स्व0 चौधरीजीक सम्मानार्थ अनेकों अवसर पर मिथिला विकास परिषद आयोजन आयोजित करैत आबि रहल अछि ।" श्री अशोक झाजी राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजकुमार झा कें पीठ थपथपाबैत कहलथि जे आई जखन चौधरीजीक जन्म शताब्दीक दिन छन्हि ताहि अवसर पर राजकुमार झाजी परिषदक परिपेक्ष्य मे चौधरीजीक विषय मे जिज्ञासावश पूछल गेल ऐतिहासिक आओर महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित करबाक विलक्षण भाव एवं चौधरीजीक जीवन चरित्रक जानकारी सहजतापूर्वक सभ कें प्राप्त होइन्ह वस्तुतः राजकुमार झाजीक योग्यता व एकाग्रताक परिचायक थिक । आजुक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक दिवस के स्मरण करैत "मिथिला विकास परिषद", कोलकाता, राजधर्म एवं समाजधर्म कें अनुपालन करैत ओहि महान मैथिली दधिचि आओर पुण्यात्मा कें सादर नमन, वंदन एवं स्तवन करैत आह्लादित भऽ रहल अछि ।
अध्यक्ष महोदय अतीतक स्मृति कें मोन पाड़ैत एवं विह्वल होइत जनतब देलथि जे स्व0 चौधरीजीक शैक्षणिक योग्यता बेशी नञि छलनि । लेकिन साहित्यक प्रति हुनक अनुराग सेहो कम नञि छलनि । कोलकाता सँ प्रकाशित बंगला समाचार पत्र एवं बंगलाक विभिन्न पत्र-पत्रिकाक नियमित पठन- पाठन करैत रहैत छलाह । स्व0 चौधरीजी स्व0 डी एल रायजी द्वारा बंगला मे लिखित नाटक "चन्द्रगुप्त" कें मैथिली मे अनुवाद कयलनि जकर नाम "चाणक्य" रखलनि । स्व0 चौधरीजी द्वारा "कुहेस" नाटकक मूल रचना कयल गेल अछि । एहि सँ प्रमाणित होइत अछि जे कोनो प्रकारक श्रेष्ठ रचना-संरचना एवं साहित्य सृजनक लेल बहुत बड़का विश्वविद्यालयक प्रमाण-पत्रक आवश्यकता नञि होइत छैक ।
गरीबी सदिखन हुनका खिहारैत रहल जकर चर्चा हम कऽ चुकलौं अछि आओर पछाड़ियो देलकनि तैयों गरीबी आओर मैथिली अनुरागक द्वन्दक मध्य गरीबी जीतअ लागल, ताहि समय तत्कालीन तथाकथित धन्नासेठ हुनकर पांजर मे ठाढ़ नञि भेलाह । अंततः स्व0 चौधरीजी कें गरीबी पराजित कऽ देलक आओर चौधरीजी बाध्य भऽ "खैलात घोष लेन" स्थित प्रेस एवं आवास कें एक अदना (गैर-मैथिल) व्यक्तिक हाथें बेंचि कें अपन पैतृक गाम "दुलारपुर" प्रस्थान कऽ गेलाह । गरीबीक झमारल द्वन्द मे कियो मैथिल अनुरागी हुनक संग नञि देलक आ बिना कोनो बाह्य व आंतरिक भाव व्यक्त कयने मैथिली अवधूत दृश्यमान जगत सँ अदृश्य भऽ गेलाह ।
दहेज प्रथाक कट्टर विरोधी छलाह स्व0 चौधरीजी । दहेज अभिशापहिं नञि थिक बल्कि असाध्य रोग बनि समाज कें संक्रमणित करैत बुनियादी आधार कें अव्यवस्थित कऽ रहल अछि - ई कहब छलनि चौधरीजी कें । संगहि चौधरीजी एकमात्र अपवाद छथि जे ओ स्वयं हमरा (श्री अशोक झाजी सँ) कहने छलाह जे लोक बजैत छथि "दहेज मिथिलाक अभिशाप थिक", मुदा देखु अशोकजी ! हमर पाँचों पुत्रीक विवाह बिना कोनो प्रकारक लेन-देन कयने नीक-नीक परिवार मे भेल अछि । एहि सँ बुझल जा सकैत अछि जे चौधरीजी दहेज रूपी दानव कें व्यक्तिगत जीवन मे परास्त कयलनि । हुनक एकमात्र पुत्र छथिन जे मर्यादापूर्वक जीवनयापन कऽ रहल छथि । स्व0 चौधरीजी हिलसि कें अपन पुत्रक नाम "विद्यापति" रखने छलाह । चौधरीजीक आब थाइक गेल छलाह । शरीर दुर्बल आ कमजोर भऽ गेल छलनि । संभवतः विधाताक विधान मे हुनक परम शांतिक समय सेहो नजदीक आबि गेल छल । 19 अगस्त, 1998 कें अपन पैतृक गाम "दुलारपुर" मे मैथिल दधिचि एवं मिथिलाक सम्मानक प्रति जीवन भरि संघर्षरत् मैथिल रत्न, अपना पाछां विपुल समाज कें शोकाकुल करैत हमेशाक लेल महाप्रस्थान कयलनि एहि धराधाम सँ । हुनक महाप्रस्थानक समाचार सुनितहिं मैथिल समाज स्तब्ध व हाहाकार करय लागल । हमरा समाजक रत्न सदाक लेल विधाताक शरणापन्न भेलाह ।
हुनक मृत्यु दिवसक बात तऽ छोडू, कतेक विषादक विषय थिक जे "मिथिला विकास परिषद" के छोड़ि आजुक दिन एहि पुनीत अवसर पर अन्य कोनो मैथिल स्वयंसेवी संगठन व मैथिल अनुरागी एहि पुण्यात्मा के एक आंजुर फूलहुँ सँ हुनक छायाचित्र पर पुष्पांजली अर्पित करब बिसरि गेलाह ।
"मिथिला विकास परिषद"क एकाग्रता, व्यक्तिक व्यक्तित्वक प्रति समर्पणक भावक प्रतिफल थिक जे दिल्ली स्थित "अखिल भारतीय मिथिला संघ" द्वारा मालबंकर हाॅल मे आयोजित "मिथिला विभूति पर्व समारोह"क अवसर पर आयोजक द्वारा "बाबूसाहेब चौधरी सम्मान" सँ "मिथिला विकास परिषद" केर अध्यक्ष श्री अशोक झाजी कें सम्मानीत कयल गेल । एहि सँ प्रमाणित होइत अछि जे व्यक्तिक व्यक्तित्व कें जे सम्मान करैत छथि वएह सम्मानीय होइत छथि । उक्त समारोह मे मंचपर तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री डाॅ हर्षबर्द्धन, सांसद द्वय श्री हुकुमदेव नारायण यादव एवं कीर्ति झा 'आजाद', पूर्व सांसद श्री महाबल मिश्र, सुप्रसिद्ध मैथिल नाट्यकार श्री महेन्द्र मलंगिया, अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा, सीपीआईक नेता श्री राजकुमार झा समेत अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित छलाह । दुखक बात जे कोलकाता के तथाकथित चौधरीजीक उत्तराधिकारी "अखिल भारतीय मिथिला संघ" दिल्ली केर अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा कें दूरभाष पर कहलथिन जे "जनैत छी जिनका अहाँ बाबूसाहेब चौधरीजीक नाम सँ सम्मानित कयलौं अछि ओ चौधरीजीक घोर विरोधी रहि चुकल छथि । महेन्द्र मलंगिया जीक कहब छलनि जे चौधरीजी सदिखन सार्वजनिक रूपें बजैत रहैत छलाह जे हमर जे कटू सँ कूट आलोचक व विरोधी छथि ओहो ओतबहिं हमर प्रिय छथि जतेक कि हमर समर्थक । एहि सँ प्रमाणित होइत अछि जे स्व. चौधरीजी "अजातशत्रु" छलाह ।
आई भिनसरे-भिनसर "मिथिला विकास परिषद"क केन्द्रीय कार्यालय मे स्व0. चौधरीजीक "जन्म शताब्दी समारोह"क आयोजन श्री अशोक झाजीक अध्यक्षता मे आयोजित भेल । एहि अवसर पर परिषदक वरिष्ठ पदाधिकारी श्री विनय प्रतिहस्तजी, श्री गोपीकांत झा 'मुन्नाजी', श्री राघवेन्द्र झाजी, पं0 नन्द कुमार झाजी, श्री नारायण झाजी, श्री रमेश चन्द्र झाजी, श्री मदन झाजी, "मिथिला महिला मंच" केर अध्यक्षा श्रीमती शैल झा, महिला मंच केर महासचिव श्रीमती रूपा चौधरी, श्रीमती किरण प्रतिहस्त, श्री अंजय चौधरीजी (महासचिव), श्री नबोनाथ झाजी आदि उपस्थित भऽ मैथिली दधिचि कें पुष्पांजली अर्पित करैत हुनक जीवन गाथा सँ समाजोत्थानक संकल्प सँ संकल्पित भेलाह ।
एहि सम्पूर्ण जानकारीक संयोजन "मिथिला विकास परिषद" केर अध्यक्ष श्री अशोक झाजी द्वारा प्राप्त भेल संगहि "मिथिला विकास परिषद"क राष्ट्रीय प्रवक्ताक रूप मे हम (राजकुमार झा, मुंबई) मैथिली अनुरागी एवं आन्दोलनीक लेल जानकारी निर्गत करायब सामाजिक दायित्व बुझैत, प्रवक्ता धर्मक अनुपालन करैत प्रेषित कऽ रहल छी । जय श्री हरि ।
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पश्चिम बंगालक शस्य श्यामल भूमि स्थित कोलकाता महानगर एवं उपनगर मे मिथिला-मैथिलीक आंदोलनक श्रीगणेश व शंखनाद केनिहार मैथिली सेनानी स्व0 हरिश्चन्द्र मिश्र 'मिथिलेन्दु' जीक उपरांत स्व0 बाबूसाहेब चौधरी जीक जन्म शताब्दीक पावन अवसर पर "मिथिला विकास परिषद", कोलकाता एहि पुण्यात्मा मैथिल दधिचि कें विनम्र आदरांजली समर्पित करैत आह्लादित भऽ रहल अछि ।
27 अगस्त, 1916 कें पैतृक गाम 'दुलारपुर' मे अत्यंत साधारण परिवार मे एहि जुझारू मैथिल नायकक आविर्भाव भेल छल । साधारण शिक्षा प्राप्त कय यौवनावस्था मे कोलकाता आबि गेलाह आओर एहिठाम "पश्चिम बंगाल परिवहन विभाग" (West Bengal State Transport) मे बसक "टाइम कीपर"क चाकरी प्रारंभ कयलनि । स्व0 चौधरीजी मिथिला राज्यक प्रबल समर्थक छलाह । यौवन अवस्था सँ मृत्युपर्यन्त धरि मैथिलक प्रति हिनक समर्पण वस्तुतः मिथिला-मैथिली केनिहार मैथिलीसेवीक लेल सदैव स्मरण राखल जायत । मैथिली-भाषा, मैथिली साहित्यक विकास, मैथिलक धरोहर कें सम्मान प्रदान करेबाक प्रति प्रतिबद्धता, हावड़ा सँ मिथिला क्षेत्र मे रेलगाड़ीक परिचालन हेतु कयल गेल हिनक संघर्ष व योगदान कें मिथिलावासी सतत् हृदय मे धारण कयने रहत ।
परिषदक अध्यक्ष श्री अशोक झाजी हुनक जीवन-दर्शन सँ अवगत कराबैत जानकारी दैत कहलथि जे सादगी जीवन, गरीबी सँ ग्रसित व त्रस्त झकझोरल जीवनयापन अभावक उपरांतहुँ मृत्युपर्यन्त, चौधरीजी कोनो अवस्था मे नञि थकलैथि आ नञि हारलैथि । "अखिल भारतीय मैथिल संघ"क अभिभावक बनि एवं नेतृत्व प्रदान करैत संघ रूपी हऽरक लागैन सदैव पकड़ि मैथिलत्वक अनुपम सेवा-भाव जागृत करैत जगजियार भऽ गेलैथ स्व0 चौधरीजी । जखन कि कालक्रमे "संघ" कें मैथिलक चरित्रक मुताबिक कयेक बेर विघटनक दौर सँ ससरैत एवं टूटैत देखैत रहलाह । स्व0 काॅमरेड भोगेन्द्र झाजीक आन्दोलनात्मक छविक स्पष्ट प्रभाव हिनक व्यक्तित्वक प्रबल आधार बनल । हिनक बहुतो तथाकथित अनुयायी सम्प्रति मौजूद छथि जे चौधरी जीक उत्तराधिकारीक रूप मे स्वयं कें प्रयुक्त करैत छथि लेकिन दुखक गप्प जे एहि महान सेनानीक जन्म शताब्दीक अनुपम दिवसक पावन अवसर पर एक आंजुर पुष्प समर्पित करबाक प्रयोजनो नञि बुझि सकलाह ई लोकैन । चौधरीजी अपन यौवनावस्थहिं सँ कोलकाता एवं उपनगरीय कोलकाता क्षेत्र मे मुख्यरूपें मिथिलाक मध्यम वर्गक संग कनहा सँ कनहा मिलबैत शिक्षा एवं रोजगार हेतु कयल गेल काज, तत्कालीन मैथिल समाज मे नव ऊर्जाक संचार संचारित कयलक ।
"मिथिला विकास परिषद"क अध्यक्ष श्री अशोक झाजी बतौलन्हि जे "विद्यापति पर्व समारोह"क नाम पर कार्यक्रम आयोजित करैत "अखिल भारतीय मैथिल संघ" केर माध्यमें सभ मैथिलजन कें एकठाम एकत्रित करब इएह मात्र उद्वेश्य रहैत छल आयोजन करबाक । चौधरीजी अपन जीवनयापनक हेतु आवासस्थली एवं कर्मस्थली बनेलथि "खैलात घोष लेन" स्थित "मिथिला आर्ट प्रेस" नामक प्रेसक स्थापना कय के । हिनक चाकरीक समय मुख्य सहयोगी छलथिन दरभंगा लऽग अवस्थित "सुन्दरपुर" गामक मैथिली अनुरागी स्व0 पं0 देवनारायण झाजी । विदित हो जे स्व0 देवनारायण झाजी ओहि समय स्व0 चौधरीजीक प्रबल समर्थक छलाह आओर देवनारायण बाबू सेहो पश्चिम बंगाल परिवहन निगम मे कार्यरत् छलाह ।
"मिथिला विकास परिषद"क अध्यक्ष श्री अशोक झाजी सँ परिषदक राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजकुमार झा जखन स्व0 चौधरीजीक जन्म शताब्दीक अवसर पर जानकारी संबंधित जिज्ञासा कयलनि तखन श्री अशोक झाजी बतौलन्हि जे हमर स्पष्ट मान्यता अछि - "सैद्धांतिक मतभेद विलग बात थिकैक मुदा चौधरीजीक मृत्युक उपरांत स्व0 चौधरीजीक सम्मानार्थ अनेकों अवसर पर मिथिला विकास परिषद आयोजन आयोजित करैत आबि रहल अछि ।" श्री अशोक झाजी राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजकुमार झा कें पीठ थपथपाबैत कहलथि जे आई जखन चौधरीजीक जन्म शताब्दीक दिन छन्हि ताहि अवसर पर राजकुमार झाजी परिषदक परिपेक्ष्य मे चौधरीजीक विषय मे जिज्ञासावश पूछल गेल ऐतिहासिक आओर महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित करबाक विलक्षण भाव एवं चौधरीजीक जीवन चरित्रक जानकारी सहजतापूर्वक सभ कें प्राप्त होइन्ह वस्तुतः राजकुमार झाजीक योग्यता व एकाग्रताक परिचायक थिक । आजुक महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक दिवस के स्मरण करैत "मिथिला विकास परिषद", कोलकाता, राजधर्म एवं समाजधर्म कें अनुपालन करैत ओहि महान मैथिली दधिचि आओर पुण्यात्मा कें सादर नमन, वंदन एवं स्तवन करैत आह्लादित भऽ रहल अछि ।
अध्यक्ष महोदय अतीतक स्मृति कें मोन पाड़ैत एवं विह्वल होइत जनतब देलथि जे स्व0 चौधरीजीक शैक्षणिक योग्यता बेशी नञि छलनि । लेकिन साहित्यक प्रति हुनक अनुराग सेहो कम नञि छलनि । कोलकाता सँ प्रकाशित बंगला समाचार पत्र एवं बंगलाक विभिन्न पत्र-पत्रिकाक नियमित पठन- पाठन करैत रहैत छलाह । स्व0 चौधरीजी स्व0 डी एल रायजी द्वारा बंगला मे लिखित नाटक "चन्द्रगुप्त" कें मैथिली मे अनुवाद कयलनि जकर नाम "चाणक्य" रखलनि । स्व0 चौधरीजी द्वारा "कुहेस" नाटकक मूल रचना कयल गेल अछि । एहि सँ प्रमाणित होइत अछि जे कोनो प्रकारक श्रेष्ठ रचना-संरचना एवं साहित्य सृजनक लेल बहुत बड़का विश्वविद्यालयक प्रमाण-पत्रक आवश्यकता नञि होइत छैक ।
गरीबी सदिखन हुनका खिहारैत रहल जकर चर्चा हम कऽ चुकलौं अछि आओर पछाड़ियो देलकनि तैयों गरीबी आओर मैथिली अनुरागक द्वन्दक मध्य गरीबी जीतअ लागल, ताहि समय तत्कालीन तथाकथित धन्नासेठ हुनकर पांजर मे ठाढ़ नञि भेलाह । अंततः स्व0 चौधरीजी कें गरीबी पराजित कऽ देलक आओर चौधरीजी बाध्य भऽ "खैलात घोष लेन" स्थित प्रेस एवं आवास कें एक अदना (गैर-मैथिल) व्यक्तिक हाथें बेंचि कें अपन पैतृक गाम "दुलारपुर" प्रस्थान कऽ गेलाह । गरीबीक झमारल द्वन्द मे कियो मैथिल अनुरागी हुनक संग नञि देलक आ बिना कोनो बाह्य व आंतरिक भाव व्यक्त कयने मैथिली अवधूत दृश्यमान जगत सँ अदृश्य भऽ गेलाह ।
दहेज प्रथाक कट्टर विरोधी छलाह स्व0 चौधरीजी । दहेज अभिशापहिं नञि थिक बल्कि असाध्य रोग बनि समाज कें संक्रमणित करैत बुनियादी आधार कें अव्यवस्थित कऽ रहल अछि - ई कहब छलनि चौधरीजी कें । संगहि चौधरीजी एकमात्र अपवाद छथि जे ओ स्वयं हमरा (श्री अशोक झाजी सँ) कहने छलाह जे लोक बजैत छथि "दहेज मिथिलाक अभिशाप थिक", मुदा देखु अशोकजी ! हमर पाँचों पुत्रीक विवाह बिना कोनो प्रकारक लेन-देन कयने नीक-नीक परिवार मे भेल अछि । एहि सँ बुझल जा सकैत अछि जे चौधरीजी दहेज रूपी दानव कें व्यक्तिगत जीवन मे परास्त कयलनि । हुनक एकमात्र पुत्र छथिन जे मर्यादापूर्वक जीवनयापन कऽ रहल छथि । स्व0 चौधरीजी हिलसि कें अपन पुत्रक नाम "विद्यापति" रखने छलाह । चौधरीजीक आब थाइक गेल छलाह । शरीर दुर्बल आ कमजोर भऽ गेल छलनि । संभवतः विधाताक विधान मे हुनक परम शांतिक समय सेहो नजदीक आबि गेल छल । 19 अगस्त, 1998 कें अपन पैतृक गाम "दुलारपुर" मे मैथिल दधिचि एवं मिथिलाक सम्मानक प्रति जीवन भरि संघर्षरत् मैथिल रत्न, अपना पाछां विपुल समाज कें शोकाकुल करैत हमेशाक लेल महाप्रस्थान कयलनि एहि धराधाम सँ । हुनक महाप्रस्थानक समाचार सुनितहिं मैथिल समाज स्तब्ध व हाहाकार करय लागल । हमरा समाजक रत्न सदाक लेल विधाताक शरणापन्न भेलाह ।
हुनक मृत्यु दिवसक बात तऽ छोडू, कतेक विषादक विषय थिक जे "मिथिला विकास परिषद" के छोड़ि आजुक दिन एहि पुनीत अवसर पर अन्य कोनो मैथिल स्वयंसेवी संगठन व मैथिल अनुरागी एहि पुण्यात्मा के एक आंजुर फूलहुँ सँ हुनक छायाचित्र पर पुष्पांजली अर्पित करब बिसरि गेलाह ।
"मिथिला विकास परिषद"क एकाग्रता, व्यक्तिक व्यक्तित्वक प्रति समर्पणक भावक प्रतिफल थिक जे दिल्ली स्थित "अखिल भारतीय मिथिला संघ" द्वारा मालबंकर हाॅल मे आयोजित "मिथिला विभूति पर्व समारोह"क अवसर पर आयोजक द्वारा "बाबूसाहेब चौधरी सम्मान" सँ "मिथिला विकास परिषद" केर अध्यक्ष श्री अशोक झाजी कें सम्मानीत कयल गेल । एहि सँ प्रमाणित होइत अछि जे व्यक्तिक व्यक्तित्व कें जे सम्मान करैत छथि वएह सम्मानीय होइत छथि । उक्त समारोह मे मंचपर तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्यमंत्री डाॅ हर्षबर्द्धन, सांसद द्वय श्री हुकुमदेव नारायण यादव एवं कीर्ति झा 'आजाद', पूर्व सांसद श्री महाबल मिश्र, सुप्रसिद्ध मैथिल नाट्यकार श्री महेन्द्र मलंगिया, अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा, सीपीआईक नेता श्री राजकुमार झा समेत अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित छलाह । दुखक बात जे कोलकाता के तथाकथित चौधरीजीक उत्तराधिकारी "अखिल भारतीय मिथिला संघ" दिल्ली केर अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा कें दूरभाष पर कहलथिन जे "जनैत छी जिनका अहाँ बाबूसाहेब चौधरीजीक नाम सँ सम्मानित कयलौं अछि ओ चौधरीजीक घोर विरोधी रहि चुकल छथि । महेन्द्र मलंगिया जीक कहब छलनि जे चौधरीजी सदिखन सार्वजनिक रूपें बजैत रहैत छलाह जे हमर जे कटू सँ कूट आलोचक व विरोधी छथि ओहो ओतबहिं हमर प्रिय छथि जतेक कि हमर समर्थक । एहि सँ प्रमाणित होइत अछि जे स्व. चौधरीजी "अजातशत्रु" छलाह ।
आई भिनसरे-भिनसर "मिथिला विकास परिषद"क केन्द्रीय कार्यालय मे स्व0. चौधरीजीक "जन्म शताब्दी समारोह"क आयोजन श्री अशोक झाजीक अध्यक्षता मे आयोजित भेल । एहि अवसर पर परिषदक वरिष्ठ पदाधिकारी श्री विनय प्रतिहस्तजी, श्री गोपीकांत झा 'मुन्नाजी', श्री राघवेन्द्र झाजी, पं0 नन्द कुमार झाजी, श्री नारायण झाजी, श्री रमेश चन्द्र झाजी, श्री मदन झाजी, "मिथिला महिला मंच" केर अध्यक्षा श्रीमती शैल झा, महिला मंच केर महासचिव श्रीमती रूपा चौधरी, श्रीमती किरण प्रतिहस्त, श्री अंजय चौधरीजी (महासचिव), श्री नबोनाथ झाजी आदि उपस्थित भऽ मैथिली दधिचि कें पुष्पांजली अर्पित करैत हुनक जीवन गाथा सँ समाजोत्थानक संकल्प सँ संकल्पित भेलाह ।
एहि सम्पूर्ण जानकारीक संयोजन "मिथिला विकास परिषद" केर अध्यक्ष श्री अशोक झाजी द्वारा प्राप्त भेल संगहि "मिथिला विकास परिषद"क राष्ट्रीय प्रवक्ताक रूप मे हम (राजकुमार झा, मुंबई) मैथिली अनुरागी एवं आन्दोलनीक लेल जानकारी निर्गत करायब सामाजिक दायित्व बुझैत, प्रवक्ता धर्मक अनुपालन करैत प्रेषित कऽ रहल छी । जय श्री हरि ।
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