सूड्डाह (बिहनि कथा) - वी०सी०झा"बमबम"

दनान पर बुढ़ - पूरान लोक सब आम - कटहर चोड़ि करबा'क बिषय पर चर्चा करैत छलथि ओहि दिन ! ओन्हियो हुनका सबहक बात ओहि अल्ल - बल्ल बिषय पर होइत रहैत छैलैन बैसारी मे किछु संऽ किछु अपन - - -

फूटेसर बाबू बात केर फूटबैत  अउ जी हम सब एना ने चोड़ि करैत छलिऐक जे गाछ वला ओगरवाह गाछ तर मे आ ओकर आम - कटहर गाछ संऽ पार कऽ दियैक , जाँउ संयोग संऽ ओकर नजरि परि जाय देख लैक तऽ ओ कटहर सीधे ओकर कपारे पर खसा दियैक।

एवम् क्रम मे चेतन बाबू बाजि उठलाह अउजी आब लोक ओना चोड़ि नहि करैत अछि जेना हम सब करैत रहि गाछक-गाछ आम कटहर सूड्डाह कऽ दैइत छलियैक कि हउ छरपन ?

कि छरपन बजलाह यउ एक्केटा बात एना बुझियौक जे :- नहि ओ नगरी नहि ओ कराह , नहि ओहन गाछ - बृक्ष रहलैक आ नहि ओहेन लोके रहलैक तखन आब एहन तरहक काज के करत ?

कि चेतन बाबू पूणः टीप देलखिन आबक छौड़ा सब सौंऽ ओ कटहर सब उटबो करतैक किन्नहु जे तोरत ? हम सब रहि जे घी मट्ठा खा कऽ पट्ठा सनक तहन ने ओहन - ओहन कटहर असगर टस'कऽ नहि दियैक।
छरपन पनि बजलाह यउ आब ओहि आकारक कटहर कहाँ होइत छैइक ?

कि ताहि पर चेतन बाबू से बात किआक करैत छी हमर खजबा कटहर देखियौक तहन जा'क आबक कुनो छौंड़ा सब बूते उठबो करतैक कि ?

लगैत अछि दू-दू छौंड़ा मिली कऽ एकटा कटहर उठाओत तखनहि टा उठतैक ! आ जखन उटबे नहि करतैक तखन तोरत किआक ?

चेतन बाबू बाजिए रहल छलथि कि ओम्हर संऽ ललटूमा हकमैत यउ बाबा चोरबा सब खजबा कटहर सूड्डाह कऽ देलक गाछ मे एकटा मोछी तक नहि छोड़लक।

चेतन बाबू आयं कि बजलें तो ?

हं बाबा पूनि बाजल खजबा सूड्डाह कऽ देलक।

~ ठीके रउ ? कि इ गप तों सत्ते बाजि रहल छऽ ?

सत्त नहि तऽ कि हम फूसि बजैत छी ?

चेतन बाबू ठामहि अचेत भऽ गेलाह।


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