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विपत्ते वनिता औषधि सम
चाने सुख माँझ
भद्रा भावे भल दण्ड पले
वामे जीवन साँझ
तें ,छथि भार्या शक्ति समतूला .
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सुख दुःख जीवन धारा दू
आनंद सतत उधार
वनिता रूपहि प्रीति प्रसंग
सुसंग अगाधे सार
तें , छथि भार्या भ्रम निर्मूला
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मन मानिनी रूप कल्याणी
जीवन जोतक भोर
नहीं गुमानी समन अभिमानी
काल कठोरक छोर
तें, छथि भार्या मनन सुखमूला
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तन मन धन ससरल उत्तर
अंतर मन प्रमाद
वयस चारिम पसरल वेधय
संगे सुख समाद
तें , छथि भार्या देवी शुभतूला
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उमर काँचे जनक विछोहे
तेजल सखि मीता
ठामे अन्तः वासे पति संग
त्यागक मूर्ति सीता
तें , छथि भार्या श्रेष्ठ गोत्रकूला
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सादर : महेश डखरामी
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