वनिता.

 -------------वनिता------------
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विपत्ते वनिता औषधि सम
चाने   सुख  माँझ
भद्रा  भावे  भल  दण्ड  पले
वामे जीवन साँझ
तें ,छथि भार्या शक्ति समतूला .
सुख  दुःख जीवन  धारा दू
आनंद सतत उधार
वनिता  रूपहि  प्रीति प्रसंग
सुसंग अगाधे सार
तें , छथि  भार्या  भ्रम  निर्मूला
मन  मानिनी  रूप  कल्याणी
जीवन जोतक भोर
नहीं गुमानी समन अभिमानी
काल कठोरक छोर
तें, छथि भार्या मनन सुखमूला
तन  मन धन ससरल उत्तर
अंतर मन प्रमाद
वयस चारिम पसरल वेधय
संगे सुख समाद
तें ,  छथि भार्या देवी शुभतूला
उमर काँचे  जनक  विछोहे
तेजल  सखि मीता
ठामे  अन्तः वासे पति संग
त्यागक मूर्ति सीता
तें ,  छथि भार्या श्रेष्ठ गोत्रकूला
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सादर : महेश डखरामी

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