1.नहि सोभैया रंगदारी-2.हे नेता जी अहाँ के प्रणाम: दयाकान्त

1.नहि सोभैया रंगदारी

अहॉं विदेहक छी संतान
राखु याज्ञवल्क्यक मान
नहि बिसरू मंडन, ंअयाची
वाचस्पति, विद्यापति केर नाम
गौरब-गाथा सॅ पूर्ण धरा पर
नहि करू एकरा संग गद्दारी
नहि सोभौया रंगदारी

हमर ज्ञान संस्कृतिक चर्चा
हाई छल जग में सदिखन
छल षिक्षाक केन्द्र बनल
पसरल नहि षिक्षाक किरण जखन
आई ठाड़ छी निम्न पॉंतिमें
नहि करू षिक्षाक व्यपारी
नहि सोभौया रंगदारी

कियो बनल स्वर्णक पक्षघर
किया बनल अवर्णक नेता
आपस में सब ‘ाडयंत्र रचिके
एक-दोसराक संग लड़ेता
अहॉं सॅ मिथिला तंग भ गेल
छोरू आब जातिक ठीकेदारी
नहि सोभौया रंगदारी

बाढिंक मारल रौदीक झमारल
जनता के आब कतेक ठकब
गाम-घर सब छोरी परायल
अहॉ आब ककरा लुटब
भलमानुश किछु डटल गाम में
नहि फुकु घर में चिंगारी
नहि सोभौया रंगदारी

आबो जागु आबो चेतु
कहिया धरि अहॉं सुतल रहब
देखु दुनियॉ चांद पर चली गेल
अहॉं आबों कहिया उठब
अहीं सनक भायक खातिर
कनैत छथि वैदेही बेचारी
नहि सोभौया रंगदारी


2.हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

एक बेर नहि  सत्त-सत्त बेर
करैत छी अहाँ के नित्य प्रणाम
हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

दू अक्षर सँ बनल ई नेता
देशक बनल अछि भाग्यविधाता
आई-काल्हि ओहा अछि नेता
जकरा लग अछि गुंडाक ठेका
जाल-फरेब फुसि में माहिर
घोटाला में सतत प्रधान
हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

खादी कुरता नीलक छीटका
मुंह में चबेता हरदम पान
मौजा ऊपर नागरा जूता
उज्जर गमछा सोभय कान्ह
जखन देखू चोर-उच्चका
भरल रहै छैन सतत दलान
हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

केने छैथ ई भीष्म प्रतिज्ञा
झूठ छोडि  नहिं बाजब सत्य
हाथी दांतक प्रयोग कय के
मुंह पर बजता सबटा पद्य
कल-बल-छल के वल पर सदिखन
जीत लैत छैथ अप्पन मतदान
हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

गाम विकाशक परम विरोधक
होबय नहि देता एकोटा काज
बान्ह-धूर स्कूल  पाई सँ
बनबैत छैथ ओ अप्पन ताज
स्त्री शिक्षाक जँ बात करू तँ
मुईन लैत छैथ अप्पन कान
हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

10 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. नहि सोभैया रंगदारी

    अहॉं विदेहक छी संतान
    राखु याज्ञवल्क्यक मान
    नहि बिसरू मंडन, ंअयाची
    वाचस्पति, विद्यापति केर नाम
    गौरब-गाथा सॅ पूर्ण धरा पर
    नहि करू एकरा संग गद्दारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    हमर ज्ञान संस्कृतिक चर्चा
    हाई छल जग में सदिखन
    छल षिक्षाक केन्द्र बनल
    पसरल नहि षिक्षाक किरण जखन
    आई ठाड़ छी निम्न पॉंतिमें
    नहि करू षिक्षाक व्यपारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    कियो बनल स्वर्णक पक्षघर
    किया बनल अवर्णक नेता
    आपस में सब ‘ाडयंत्र रचिके
    एक-दोसराक संग लड़ेता
    अहॉं सॅ मिथिला तंग भ गेल
    छोरू आब जातिक ठीकेदारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    बाढिंक मारल रौदीक झमारल
    जनता के आब कतेक ठकब
    गाम-घर सब छोरी परायल
    अहॉ आब ककरा लुटब
    भलमानुश किछु डटल गाम में
    नहि फुकु घर में चिंगारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    आबो जागु आबो चेतु
    कहिया धरि अहॉं सुतल रहब
    देखु दुनियॉ चांद पर चली गेल
    अहॉं आबों कहिया उठब
    अहीं सनक भायक खातिर
    कनैत छथि वैदेही बेचारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    दयाकान्त
    bah

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  2. आबो जागु आबो चेतु
    कहिया धरि अहॉं सुतल रहब
    देखु दुनियॉ चांद पर चली गेल
    अहॉं आबों कहिया उठब
    अहीं सनक भायक खातिर
    कनैत छथि वैदेही बेचारी
    नहि सोभौया रंगदारी
    nik lagal

    जवाब देंहटाएं
  3. ahank tesar kavita maithil aar mithila me padhlahu,
    aashu kavi chhi ahan,
    aar rachna kahiya dhari pathayab

    जवाब देंहटाएं
  4. bah bhai,
    muda suntah ke se nahi kahi,
    etay te ek dosar kwe kat me hamra sabh chhi

    जवाब देंहटाएं
  5. shikshak vyapar te bhaiye gel achhi,
    rangdari ke rokat,
    muda kavik kaj te ahan apna bhari kaybe kelahu

    जवाब देंहटाएं
  6. rangdari katahu sobhlai ye bhai.ehina likhait rahu

    mahesh jha

    जवाब देंहटाएं
  7. dunu kavita samyik- mohan

    1.नहि सोभैया रंगदारी

    अहॉं विदेहक छी संतान
    राखु याज्ञवल्क्यक मान
    नहि बिसरू मंडन, ंअयाची
    वाचस्पति, विद्यापति केर नाम
    गौरब-गाथा सॅ पूर्ण धरा पर
    नहि करू एकरा संग गद्दारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    हमर ज्ञान संस्कृतिक चर्चा
    हाई छल जग में सदिखन
    छल षिक्षाक केन्द्र बनल
    पसरल नहि षिक्षाक किरण जखन
    आई ठाड़ छी निम्न पॉंतिमें
    नहि करू षिक्षाक व्यपारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    कियो बनल स्वर्णक पक्षघर
    किया बनल अवर्णक नेता
    आपस में सब ‘ाडयंत्र रचिके
    एक-दोसराक संग लड़ेता
    अहॉं सॅ मिथिला तंग भ गेल
    छोरू आब जातिक ठीकेदारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    बाढिंक मारल रौदीक झमारल
    जनता के आब कतेक ठकब
    गाम-घर सब छोरी परायल
    अहॉ आब ककरा लुटब
    भलमानुश किछु डटल गाम में
    नहि फुकु घर में चिंगारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    आबो जागु आबो चेतु
    कहिया धरि अहॉं सुतल रहब
    देखु दुनियॉ चांद पर चली गेल
    अहॉं आबों कहिया उठब
    अहीं सनक भायक खातिर
    कनैत छथि वैदेही बेचारी
    नहि सोभौया रंगदारी

    2.हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

    हे नेता जी अहाँ के प्रणाम
    एक बेर नहि सत्त-सत्त बेर
    करैत छी अहाँ के नित्य प्रणाम
    हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

    दू अक्षर सँ बनल ई नेता
    देशक बनल अछि भाग्यविधाता
    आई-काल्हि ओहा अछि नेता
    जकरा लग अछि गुंडाक ठेका
    जाल-फरेब फुसि में माहिर
    घोटाला में सतत प्रधान
    हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

    खादी कुरता नीलक छीटका
    मुंह में चबेता हरदम पान
    मौजा ऊपर नागरा जूता
    उज्जर गमछा सोभय कान्ह
    जखन देखू चोर-उच्चका
    भरल रहै छैन सतत दलान
    हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

    केने छैथ ई भीष्म प्रतिज्ञा
    झूठ छोडि नहिं बाजब सत्य
    हाथी दांतक प्रयोग कय के
    मुंह पर बजता सबटा पद्य
    कल-बल-छल के वल पर सदिखन
    जीत लैत छैथ अप्पन मतदान
    हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

    गाम विकाशक परम विरोधक
    होबय नहि देता एकोटा काज
    बान्ह-धूर स्कूल पाई सँ
    बनबैत छैथ ओ अप्पन ताज
    स्त्री शिक्षाक जँ बात करू तँ
    मुईन लैत छैथ अप्पन कान
    हे नेता जी अहाँ के प्रणाम

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