
गीत वियोग के...
पिया निर्मोहिया गेलैथ परदेश ,
भेजलैथ नई चिठ्ठी आ कोनो सन्देस,
जिया घबराईय ,चैन नई भेटैय,
सद्खन साजन अहि पर सुरता रहैय,
अहाविन हे यौ साजन मोन नई लगैय - २
आईबकेर परदेस हमहू छि कलेश में ,
दुःख केर पोटरी की हम भेजू सन्देस में ,
आईबकेर परदेस मोन पचताईय ,
अहाक रे सुरतिया सजनी बिसरल नई जाईय ,
अहा विन हे ये सजनी मोन नई लगईय - २
नई चाही हमरा गहना ,रुपैया आऔर बड़का नाम ययौ ,
ख्याब नून रोटी झोपडी में मुदा चएल आउ गाम ययौ ,
अहाक मुन्ना मुन्नी पर नई अछि हमार काबू ,
बाट चलैत बटोही क कहीदईया झट सा बाबु ,
सम्झौला स झट पुईछबैठेय कतए गेल हमर बाबु ,
सुनीकेर बेट्टाबेट्टी के बोली ,दिल पर चैइल जाईत अछि गोली ,
चुप चाप हम भजईत छि ,मोने मोन हम लाजईत छि
कहिदु मुन्ना मुन्नी के बाबु गेल छौ पाई कमाईला विदेस ,
ल क अईतोऊ तोरासबल्या खेलौना आ मीठ मीठ सनेश ,
मोन तर्शैय हमरो सजनी अहाक प्यार आ अनुरागला ,
आ बेट्टा बेट्टी केर मिठिका दुलार ला - २ !!!
कविता के रचैता:- प्रभात राय भट्ट, ग्राम: धिरापुर - २, जनकपुरधाम, नेपाल
प्रभात जी,
जवाब देंहटाएंमैथिल आर मिथिला ब्लॉग परिवार में अपनेक स्वागत अछि!
अपनेक रचनाक कतबो तारीफ करी कम अछि, आशा करे छी अपनेक आर निक - निक रचना ब्लॉग पाठक गन के पढबाक लेल मिलत...
हमर शुभकामना अछि...
एक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।