माय (कविता)
मनीष झा "बौआभाई"
एक-एक क्षण जे बेटा के खातिर
कर जोड़ि विनती करैइयै माय
बिनु अन्न-जल ग्रहण केने बेटा लै
जितियाक व्रत राखैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
जिन्दगीक रौदा में तपि क'
बेटा के छाहड़ि दैइयै माय
बरखा-बिहाड़ि सन विषम समय में
आँचर स' झाँपि राखैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
घर में छोट-छिन बात पर में
बाप स' लड़ि लैइयै माय
बाप स' लड़ि बेटा के पक्ष में
फैसला करैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
बेटा नै जा धरि घर आबय
बाट टुकटुक ताकैइयै माय
ओठंगि के चौकठि लागि बैसल
राति भरि जागैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
वयस कियैक नै हुऐ पचासक
तहियो बौआ कहैइयै माय
अहू वयस में नज़रि ने लागय
तैं अपने स' निहुछैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
होय जानकी वा अम्बे के प्रतिमा
सभ रूप में झलकैइयै माय
तीर्थ-बर्थ सब मन के भ्रम छी
घर में जे' कुहरैइयै माय
कर्त्तव्य हमरो ई कहैइयै
घर में नै कलपय ई माय
आ एहि तरहें जन्म देल त'
माय के पद पाबय ई माय
मनीष झा "बौआभाई"
एक-एक क्षण जे बेटा के खातिर
कर जोड़ि विनती करैइयै माय
बिनु अन्न-जल ग्रहण केने बेटा लै
जितियाक व्रत राखैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
जिन्दगीक रौदा में तपि क'
बेटा के छाहड़ि दैइयै माय
बरखा-बिहाड़ि सन विषम समय में
आँचर स' झाँपि राखैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
घर में छोट-छिन बात पर में
बाप स' लड़ि लैइयै माय
बाप स' लड़ि बेटा के पक्ष में
फैसला करैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
बेटा नै जा धरि घर आबय
बाट टुकटुक ताकैइयै माय
ओठंगि के चौकठि लागि बैसल
राति भरि जागैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
वयस कियैक नै हुऐ पचासक
तहियो बौआ कहैइयै माय
अहू वयस में नज़रि ने लागय
तैं अपने स' निहुछैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
होय जानकी वा अम्बे के प्रतिमा
सभ रूप में झलकैइयै माय
तीर्थ-बर्थ सब मन के भ्रम छी
घर में जे' कुहरैइयै माय
कर्त्तव्य हमरो ई कहैइयै
घर में नै कलपय ई माय
आ एहि तरहें जन्म देल त'
माय के पद पाबय ई माय
bhav vihval bhay gelahu
जवाब देंहटाएंmayak barabari ke kay sakai ye
जवाब देंहटाएंबेटा नै जा धरि घर आबय
जवाब देंहटाएंबाट टुकटुक ताकैइयै माय
ओठंगि के चौकठि लागि बैसल
राति भरि जागैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
bah
एक-एक क्षण जे बेटा के खातिर
जवाब देंहटाएंकर जोड़ि विनती करैइयै माय
बिनु अन्न-जल ग्रहण केने बेटा लै
जितियाक व्रत राखैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
जिन्दगीक रौदा में तपि क'
बेटा के छाहड़ि दैइयै माय
बरखा-बिहाड़ि सन विषम समय में
आँचर स' झाँपि राखैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
घर में छोट-छिन बात पर में
बाप स' लड़ि लैइयै माय
बाप स' लड़ि बेटा के पक्ष में
फैसला करैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
बेटा नै जा धरि घर आबय
बाट टुकटुक ताकैइयै माय
ओठंगि के चौकठि लागि बैसल
राति भरि जागैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
वयस कियैक नै हुऐ पचासक
तहियो बौआ कहैइयै माय
अहू वयस में नज़रि ने लागय
तैं अपने स' निहुछैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
होय जानकी वा अम्बे के प्रतिमा
सभ रूप में झलकैइयै माय
तीर्थ-बर्थ सब मन के भ्रम छी
घर में जे' कुहरैइयै माय
कर्त्तव्य हमरो ई कहैइयै
घर में नै कलपय ई माय
आ एहि तरहें जन्म देल त'
माय के पद पाबय ई माय
bah
mayak roop mamtamayi, okar upkark kono mol nahi.
जवाब देंहटाएंnik
bad kavita lagal bhai
जवाब देंहटाएंbah bhai, ahank saph charitrak parichayak achhi mayak prati ahank ee sneh
जवाब देंहटाएंबहुत नीक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंजिन्दगीक रौदा में तपि क'
जवाब देंहटाएंबेटा के छाहड़ि दैइयै माय
बरखा-बिहाड़ि सन विषम समय में
आँचर स' झाँपि राखैइयै माय
आ एहि तरहें माय हेबाक
कर्त्तव्य पूरा करैइयै माय
ई वास्तविकता जकरा बुझबा में आबि गेल ओएह असल मायक भक्त अछि I ई रचना के लेल बेर बेर हार्दिक धन्यवाद I
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