ककरो दैछ निमंत्रण खाट
सब दिन सुतले रहबाले
हमरो दैछ निमंत्रण बाट
हरदम चलिते रहबाले।
ककरो पवन झुलाबय झुलना
सपना देखिते रहबाले।
हमरा पवन छुबैये देह
सिहरल सिहरल उठबाले।
हमरा खातिर पवन कमाल
हमरा खातिर पवन रुमाल
हमरा किरण कहैए झात
सबटा दुख हरि लेबाले
हमरा सोर करैय बाध
बाधक पारक नील आकाश
हमरा पंछीसँ अधिक प्रेम
गगनक आँचर सुँघबाले।
मानल थीक प्रलय केर राति
मन घबड़ाथि कथीले
हम तऽ हर-सिङ्गारक फूल
हरदम झरिते रहबाले।
सोना बनबा केर इच्छुक तऽ
आगिक डऽर कतेक दिन
हम तऽ धधरा लेल पजारि
अनुखन जरिते रहबाले॥
सब दिन सुतले रहबाले
हमरो दैछ निमंत्रण बाट
हरदम चलिते रहबाले।
ककरो पवन झुलाबय झुलना
सपना देखिते रहबाले।
हमरा पवन छुबैये देह
सिहरल सिहरल उठबाले।
हमरा खातिर पवन कमाल
हमरा खातिर पवन रुमाल
हमरा किरण कहैए झात
सबटा दुख हरि लेबाले
हमरा सोर करैय बाध
बाधक पारक नील आकाश
हमरा पंछीसँ अधिक प्रेम
गगनक आँचर सुँघबाले।
मानल थीक प्रलय केर राति
मन घबड़ाथि कथीले
हम तऽ हर-सिङ्गारक फूल
हरदम झरिते रहबाले।
सोना बनबा केर इच्छुक तऽ
आगिक डऽर कतेक दिन
हम तऽ धधरा लेल पजारि
अनुखन जरिते रहबाले॥
manch par jakhan ravindra ji tharh hoit chhathi takhano otabe prabhavi hoit chhathi jatek ee kavita parhba me lagal
जवाब देंहटाएंnik
जवाब देंहटाएंravindra jik kavitak prastuti lel dhanyavad
जवाब देंहटाएंjhamkauwa geet.
जवाब देंहटाएंबहुत नीक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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