दियाबातीक अवसरपर डा. राजेन्द्र विमल आ धीरेन्द्र प्रेमर्षिक पद्य- प्रस्तुति जितेन्द्र झा जनकपुर


डा. राजेन्द्र विमल (1949- )त्रिभुवन विश्वविद्यालयक जनकपुर कैम्पसमे नेपाली भाषा विभागक अध्यक्ष छथि।

दीयाबाती पर एक टा गजल- राजेन्द्र विमल


जगमग ई सृष्टि करए तखने दिवाली छी
प्रेम चेतना जागि पड़ए तखने दिवाली छी

जीर्ण आ पुरातनकेँ हुक्का-लोली बनाउ
पलपल नव दीप जरए तखने दिवाली छी

स्नेहकेर धार बहत बनत जग ज्योतिर्मय
हर्षक फुलझड़ी झरए तखने दिवाली छी

अनधन लछमी आबए दरिदरा बहार हो
रङ्गोली रङ्ग भरए तखने दिवाली छी

रामशक्ति आगूमे रावण ने टीकि सकत
रावण जखने डरए तखने दिवाली छी


धीरेन्द्र प्रेमर्षि (1967- ) हेलो मिथिला, काठमाण्डूक सुपरिचित मैथिली उद्घोषक छथि आ लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार छथि।

शुभकामना दिआबातीक- धीरेन्द्र प्रेमर्षि

चमकैत दीपकेँ देखिकऽ
जेना झुण्ड कीड़ा-मकोड़ा
कऽ दैछ न्यौछावर अपन अस्तित्व
दुर्गुण वा खलतत्त्वरूपी कीड़ा-मकोड़ाकेँ
नष्ट करबाक लेल चाही ने आओर किछु
अपना भीतरक मानवीय इजोतक टेमी
कने आओर उसका ली
अपनाकेँ सभक मन-मनमे मुसका ली
इएह अछि शुभकामना दिआबातीक-
देहरि दीप जरए ने जरए
मनधरि सदति रहए झिलमिल
किएक तँ अपना मात्र इजोतमे रहने
मेटा नहि सकैछ संसारसँ अन्हार

5 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. जगमग ई सृष्टि करए तखने दिवाली छी
    प्रेम चेतना जागि पड़ए तखने दिवाली छी

    जीर्ण आ पुरातनकेँ हुक्का-लोली बनाउ
    पलपल नव दीप जरए तखने दिवाली छी

    स्नेहकेर धार बहत बनत जग ज्योतिर्मय
    हर्षक फुलझड़ी झरए तखने दिवाली छी

    अनधन लछमी आबए दरिदरा बहार हो
    रङ्गोली रङ्ग भरए तखने दिवाली छी

    रामशक्ति आगूमे रावण ने टीकि सकत
    रावण जखने डरए तखने दिवाली छी

    ati sundar guruvar rajendra vimal jik rachnak prstutik lel sadhuvad.
    चमकैत दीपकेँ देखिकऽ
    जेना झुण्ड कीड़ा-मकोड़ा
    कऽ दैछ न्यौछावर अपन अस्तित्व
    दुर्गुण वा खलतत्त्वरूपी कीड़ा-मकोड़ाकेँ
    नष्ट करबाक लेल चाही ने आओर किछु
    अपना भीतरक मानवीय इजोतक टेमी
    कने आओर उसका ली
    अपनाकेँ सभक मन-मनमे मुसका ली
    इएह अछि शुभकामना दिआबातीक-
    देहरि दीप जरए ने जरए
    मनधरि सदति रहए झिलमिल
    किएक तँ अपना मात्र इजोतमे रहने
    मेटा नहि सकैछ संसारसँ अन्हार

    bhai dheerendra premarshik rachnal lel seho dhanyavad.

    जवाब देंहटाएं
  2. bad nik prastutiप्रेम चेतना जागि पड़ए तखने दिवाली छी

    जवाब देंहटाएं
  3. ee blog serious aa samanya dunuk lel samanya roop se
    aakarshak achi.

    dr palan jha

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने