ककरा कहैत छै-- दहेज़

बउवा पुछलक ,
बाबूजी सं,
कहियौ, ककरा,
कहैत छै - दहेज़ ?

बउवा , अहाँ के ,
विवाह में,
जे टाका लैबे,
गाडी लैबे,
घर में रखैबै ,
सबटा समान सहेज,
ई त हक़,
बनैत ऐछ हमर,
लोक कहैत ऐछ - दहेज़॥

मुदा अहाँ के,
छोटकी बहिन के,
विवाह के,
जखन आयत बेर ,
अहि सड़ल,
प्रथा सं, हमरा ,
भ जायत परहेज,
हमहूँ ढोल पीट,क,
गरियायब, आ कहबई,
कतेक लालची ,
ऐछ ई समाज,
माँगैत ऐछ - दहेज़॥

बउवा अखनो,
चकित- अचंभित,
नहीं बूईझ सकल,
ई भेद,
सबके पूछैत,
रहैत छै,
सैद्खैन, ककरा,
कहैत छै _ दहेज़ ?

4 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. अपन मिथिला मs पैल रहल दहेज़प्रथा पर आधारित अपने के कविता (ककरा,
    कहैत छै _ दहेज़) बहुत निक रचना अछि, अहिना मिथिला के प्रति लिखैत रहू .....

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  2. आत्मासँ हृदयसँ लिखल एहि ब्लॉगक सभ पद्य हृदयकेँ छुबैत अछि।

    গজেন্দ্র ঠাকুব

    जवाब देंहटाएं
  3. हमहूँ ढोल पीट,क,
    गरियायब, आ कहबई,
    कतेक लालची ,
    ऐछ ई समाज,
    माँगैत ऐछ - दहेज़॥

    जवाब देंहटाएं

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