हाइकू- निमिष झा


निमिष झा

हाइकू

चाँदनी राति
नीमक गाछ तर
जरैछ आगि।

गरम साँस
छिला गेलैक ठोर
प्रथम स्पर्श।

परिचित छी
जीवनक अन्तसँ
मुदा जीयब।

बहैछ पछबरिया
जरै उम्मिदक दीया
उदास मोन।

पीयाक पत्र
किलकिञ्चत् भेल
उद्दीप्त मोन

श्रम ठाढ़ छै
श्रमिक पड़ल छै
मसिनि युग।

मृत्युक नोत
जीबाक लेल सिखु
देब बधाइ।

1 टिप्पणियाँ

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