गजल
पूरबे आ पश्चिमे सँ अएलै एहन फसादी रे जान
रे जान लगलै बड़का पसाही रे जान
ओ जे मोटेलै बलू कोना मोटेलै रे जान
रे जान खेने हेतै सभटा धन सरकारी रे जान
दोसर के काजो करैए उपर सँ लातो खाइए
एहने होइए बुड़िबक बड़ा बिहारी रे जान
पघिलैए जे लाहक जेना जमैए मोमक जेना
रे जान कहबै ओहए बड़ा सुतारी रे जान
पूरबे आ पश्चिमे सँ अएलै एहन फसादी रे जान
रे जान लगलै बड़का पसाही रे जान
ओ जे मोटेलै बलू कोना मोटेलै रे जान
रे जान खेने हेतै सभटा धन सरकारी रे जान
दोसर के काजो करैए उपर सँ लातो खाइए
एहने होइए बुड़िबक बड़ा बिहारी रे जान
पघिलैए जे लाहक जेना जमैए मोमक जेना
रे जान कहबै ओहए बड़ा सुतारी रे जान
thaihar-thaihar ka deliyai
जवाब देंहटाएंबड नीक रचना....तै पर गजेन्द्र जी के कमेंट सोना पे सुहागा
जवाब देंहटाएंभाइ राजरिशी जी परिस्थिति जन्य टिपण्णीक लेल धन्यवाद। मैथिली गजलक स्वरूप एखन स्थिर नहि भेलैक अछि।अरबी, फारसी उर्दू वा हिंदी गजलक नियम (बहर वा वजन ) पूर्ण रूपे मैथिली गजल पर लागू नहि भए सकैत छैक। चूँकि मैथिली आ उपरोक्त भाषा भिन्न छैक। सब सँ त पहिने बहरक गिनतीए मे अंतर छैक। उर्दू मे जतए मात्राक गनती बदत, सबब, आदि सँ कएल जाइत छैक ओतहि मैथिली मे संस्कृतक अनुसारे । उदाहरणक लेल (घर)क मात्रा उर्दू मे दीर्घ S होइत छैक मुदा मैथिली मे एकरा दूटा लघु । । हेतैक।
जवाब देंहटाएंआशा अछि जे इ अंतर अपने बुझैत हेबैक। ओना हमरा लोकनिक प्रयास अछि जे आगामी पाँच साल मे मैथिली गजलक स्वरूप स्थिर भए जाइक। आब अपने पर इ निर्भर अछि जे एहि काज मे अपनेक की आ कतेक सहयोग रहत। धन्यवाद।
आशीष अनचिन्हार
09968989527
आशीष जी, अहाँ ग़ज़ल के प्रति गंभीर छी ई देख प्रसन्नता हौयत ऐछ...मुदा कुनु भी भाषा हो ग़ज़लक आधारभूत शिल्प त एके रहतै। हर शब्द के वजन ओकर उच्चारण पर निर्भर करै छै...अब जेना "घर" के हिंदी-छंद में ्सेहो वजन दू टा लघु लेल जाय छै मुदा जेना अहां कहलौं कि उर्दू में इ एक टा दीर्घ गिनल जाय छै...
जवाब देंहटाएंअहां एते सुंदर लिखै छी..कमाल के मिस्रा सब बुनै छिये। बस कनिकटा ध्यान देबै त कमाल क देबै। हम अपने एखन सीखिये रहल छी हिंदी में ग़ज़ल कहब...अहां के नंबर नोट क लेलौं ..फोन करब कखनु फुरसत में
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