बसन्त आबि गेल नव कालिया सगरो गाछ छागेल !
पुरबा पछवा बसात बहैए , जवानीक ओ मद भरैए ,
दुख ने द्र्द्का ठिकः रहैए ,आम मंजरमे मधु लगैए ,
देस दुनियाकेँ हाथ चेला बनैए ,बाबाक भाषण सुनैए ,
कियो रमा देव , कियो कामा देव , सब डौगी चोला पहिरे ,
नारी संग नाच नाचैए ,कियो चिकोटी कियो नागी पेची .
आनंदक भोगी बनैए , मदिराकेँ अमृत बुझैए ,
झुठे भगवानक नाम जपैए , अपना आपके आफसर बुझैए ?
रमा कान्त झा (सौराठ ) बिहार
पुरबा पछवा बसात बहैए , जवानीक ओ मद भरैए ,
दुख ने द्र्द्का ठिकः रहैए ,आम मंजरमे मधु लगैए ,
देस दुनियाकेँ हाथ चेला बनैए ,बाबाक भाषण सुनैए ,
कियो रमा देव , कियो कामा देव , सब डौगी चोला पहिरे ,
नारी संग नाच नाचैए ,कियो चिकोटी कियो नागी पेची .
आनंदक भोगी बनैए , मदिराकेँ अमृत बुझैए ,
झुठे भगवानक नाम जपैए , अपना आपके आफसर बुझैए ?
रमा कान्त झा (सौराठ ) बिहार
"झुठे भगवानक नाम जपैए , अपना आपके आफसर बुझैए"
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रमाकांत जी...बहुत सुंदर। अपनेक सौराठ स छि। सौराठ हमर ननिहाल अछि।
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