क्षणिका-प्रशांत मिश्र

हड़ाहि
एकटा हड़ाहि जे राति मे पटकलन्हि साँए के

तोड़लन्हि चौकी

भोरे-भोर पड़ोसनी के गरिअबैत कहलखिन्ह

हँ,चुप्प रह गे सत्तबरती

राँड़ी, छुच्छी, सँएखौकी

4 टिप्पणियाँ

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