गरहाँक जीवाश्म- बुद्धिनाथ मिश्र




बाबू पढ़ने छलाह --
‘अ’सँ अदौड़ी
‘आ’सँ आमिल
तें ने दौड़ सकलाह
ने मिल सकलाह
सौराठक धवल-धार सँ।
जिनगी भरि करैत रहलाह
पुरहिताइ
खाइत रहलाह चूड़ा-दही
बान्हैत रहलाह
भोजनी, अगों आ सिदहाक पोटरी
पूजा वला अंगपोछामे।

हम पढ़लहुँ--
‘अ’सँ अनार
‘आ’सँ आम
तहिया नहि बुझना गेल
जे ई वर्णमाला पढ़िते
खाससँ आम भ’ जायब।
एहि देसक
आरक्षित शब्दकोशमे
फूलक सहस्रो पर्याय भेटत
मुदा फलक एकोटा नहि।
बून-बूनसँ
समुद्र बनबाक प्रक्रियामे फँसल
हम ओ भूतपूर्व बून छी
जकरा समुद्र कहएबाक अधिकारसँ
वंचित राखल गेल छै।
आब हमर नेना
पढ़ि रहल अछि --
‘ए’सँ एपुल
‘बी’सँ बैग, ‘सी’सँ कैट
आ धीरे-धीरे उतरि रहल अछि
हमर दू बीतक फ्लैटमे
बाइबिलक आदम, आदम क ईव
आ ईवक वर्जित फल।
हमरा परदेसकें मात करत
बौआक बिदेस
हमर लगाएल आमक गाछी
बाबुओ देखलनि, बौओ देखलथि
मुदा बौआक लगायल सेबक गाछ
समुद्र पारक ईडन गार्डेनमे फरत
जत’ ने हेतै आमक वास
ने हेतै अदौड़ीक विन्यास।
लिबर्टीक ईव पोति रहल अछि आस्ते-आस्ते
मधुबनीक चित्रित भीतकें।
देसी गुरुजीक एक्काँ-दुक्काँ
सबैया-अढ़ैया आ
गरहाँ जा रहल’ए भूगर्भमे
जीवाश्म बनबा लेल।


3 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. बाबू पढ़ने छलाह --
    ‘अ’सँ अदौड़ी
    ‘आ’सँ आमिल

    हम पढ़लहुँ--
    ‘अ’सँ अनार
    ‘आ’सँ आम

    आब हमर नेना
    पढ़ि रहल अछि --
    ‘ए’सँ एपुल
    ‘बी’सँ बैग, ‘सी’सँ कैट

    bah

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने