बूझल नहि
कखन कत्त आ कॊना
हमरा आंखि मे बहऽ लागल
कविता
नदी बनि कऽ
भऽ गेल ठाढ़
पहाड़
करेज मे
जनक बनि कऽ
देखलिए
चिड़ै चुनमुन
नहि डेराइत अछि
आब
खेलाइत अछि
हमरा संग
गाछीक बसात
अल्हड़ अछि
मज्जर विहीन
भूखले पेट
नचैत अछि
झूमैत अछि
कारी मेघ माथ पर
अकस्मात कानि उठैछ
सुजाता सुन्नरि
नॊर संऽ चटचट गाल
चान पर कारी जेना
कखन कत्त आ कॊना
हमरा आंखि मे बहऽ लागल
कविता
नदी बनि कऽ
भऽ गेल ठाढ़
पहाड़
करेज मे
जनक बनि कऽ
देखलिए
चिड़ै चुनमुन
नहि डेराइत अछि
आब
खेलाइत अछि
हमरा संग
गाछीक बसात
अल्हड़ अछि
मज्जर विहीन
भूखले पेट
नचैत अछि
झूमैत अछि
कारी मेघ माथ पर
अकस्मात कानि उठैछ
सुजाता सुन्नरि
नॊर संऽ चटचट गाल
चान पर कारी जेना
एकटा चीनी दार्श्निक कहने छथि जे ओ सपनामे देखलन्हि जे पुल बहि रहल अछि आ धार ठाढ़ अछि।
जवाब देंहटाएंएतए कविताक आँखिमे बहबाक बिम्ब देखि ई मोन पड़ि गेल।
मज्जर विहीन गाछेक बसातक खेलाएब
आ चिड़ै चुनमुनक नहीं डेराएब ई सभ बिम्बक माला अछि ई कविता।
आ वैह चीनी दार्शनिक उठलापर सोचलन्हि जे आब देखि रहल ची जे धार बहि रहल अछि आ पुल ठाढ़ अछि तँ ई भ्रम आबि गेल अछि सोझाँ जे आब ची सपना देखैत वा देखैत रही किछु काल पहिने।
झूमैत अछि
जवाब देंहटाएंकारी मेघ माथ पर
अकस्मात कानि उठैछ
सुजाता सुन्नरि
नॊर संऽ चटचट गाल
चान पर कारी जेना
kono pankti kono shabd ee nahi bujhayal je jabardasti thoosal ho
बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंadbhut bhaiji
जवाब देंहटाएंबूझल नहि
जवाब देंहटाएंकखन कत्त आ कॊना
हमरा आंखि मे बहऽ लागल
कविता
नदी बनि कऽ
aa
झूमैत अछि
कारी मेघ माथ पर
अकस्मात कानि उठैछ
सुजाता सुन्नरि
नॊर संऽ चटचट गाल
चान पर कारी जेना
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