माँ मिथिला ताकय संतान
ससरी गेल कतेको टाट
खसि परल कतेको ठाठ
नहि अछि कतहु पर्दा टाट
नहि राखल दलान पर खाट
कतेको घर साँझ-प्रात सं बंचित
कतेको घर ताला सं संचित
जतय रहै छल जमाल दलान
आई बाबा बिन सुन्न दलान
माँ मिथिला ताकय संतान
सगर देश मे भय रहल पलायन
मिथिला सन नहि दोसर ठाम
बी०ए०, एम०ए० घर बैसी के
कहिया धरि देता इम्तिहान
जीबिकाक नहि बचल कोनो साधन
नहि रोजगारक कोनो ठेकान
गाम बैसी करता की बैउया
कोना बचेता घरक प्राण
माँ मिथिला ताकय संतान
पढ़ल लिखल बौक बनल अछि
धुरफंदी सब मौज करैत अछि
एक आध जे पोस्ट निकलैत अछि
भाई-भतीजा छापि लैत अछि
सबतरि बन्दर बाँट मचल अछि
कोनो विभाग नहि आई बांचल अछि
बिना पाई कियो बात नहि करताह
कतेक सहत सज्जन अपमान
माँ मिथिला ताकय संतान
हमर बुद्धि-विवेकक लोहा
देशे नहि विदेशो मानैया
हमर मेहनत-लग्नक वल पर
आई कियो बाबु कह्बैया
हमर उन्नति देखि के आई
सब प्रांत हमरा सं जरैया
करितहु प्रतिभाक सदुपयोग
रहिता जँ मिथिलामे ओरियान
माँ मिथिला ताकय संतान
दयाकान्त
बतहिया पुछै छै सवाल, नहि सोभैया रंगदारी आ हे नेता जी अहाँ के प्रणाम केर बाद एकटा आर निक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंnik kavita
जवाब देंहटाएंश्रीमान दयाकांत जी अपने छी मिथिला केर स्वाभिमान
जवाब देंहटाएंएहि सोच स' भेटत जरुर हमर माय मिथिला के सम्मान
सोच मिळत ज' हमर अहांके त' कायम रहत हमर सम्बन्ध सहोदर समान
हमरे अहाँ सन भेटतै जरुर माँ मिथिले के कोनो नीक संतान
तार्किक,मार्मिक आ हृदयस्पर्शी रचना I मैथिल सपूत कें कर्त्तव्य निर्वाह के लेल एहेन कलम चलौनय जरुरी अछि I
मनीष झा "बौआभाई"
http://jhamanish4u.blogspot.com/
nik lagal
जवाब देंहटाएंhridaysparshi
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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