मिथिलाक आलौकिक पाबैन अछि चौरचन ।




 चौरचन अपन मिथिलाक प्रसिद्ध -पाबैन अछि।ई पावैन भादव मासक शुक्ल पक्षक चतुर्थी तिथिमें साँझखन मनाओल जाइत अछि।एही पाबैन में विधी विधानपूर्वक यथाशक्ति चन्द्रमाक पूजा-अर्चना कऽ हाथ मे दही, फल, मधुरादि लऽ साँझ मे चन्द्रास्तसँ पहिनहि हुनक दर्शन केला सँ मिथ्यापवाद आ सब विघ्नक नाश होयत अछि, आ धन पुत्रादि सँ युक्त सदति आनन्दक प्राप्ति होयत अछि ।
साक्षात् श्री कृष्णकेँ सेहो भादव शुक्लचौठमे खाली हाथेँ चन्द्रमाक दर्शन कऽ लेला सँ फूसि-कलंक लागल छलनि जे स्यमन्तक मणिक लोभसँ कृष्ण सत्राजितक भाइ प्रसेनकेँ मारि मणि नुका देलनि, यद्यपि प्रसेनकेँ सिंह मारने छलै आ सिंहकेँ जाम्बवान मारि स्यमन्तक मणि पहाड़क धोधर मे लऽ जाकऽ ओ अपन बच्चा केँ खेलौनाक रूपमे दऽ देने छेलैथ ।
सत्राजितक तपस्यासँ प्रसन्न भऽ सूर्य अपन गरदनिसँ स्यमन्तक मणि दऽ नियम-निष्ठासँ ओकरा धारण करऽ कहने छलनि मुदा ओ द्वारिका पहुँचि डरसँ  अपन भाइ प्रसेन केँ ओ मणि दऽ देलनि जे बिना कोनो नियम पालनकऽ कृष्णक संग जंगल शिकार करऽ चलि गेल छल आ जंगलमे कृष्णसँ बहुत फराक भऽ सिंहसँ मारल गेल छल आ निराश भऽ बिन प्रसेनक संग कृष्ण केँ अबैत देखि हुनका "प्रसेन-वध"क मिथ्या कलंक लगलनि पुनश्च दुखी कृष्ण किछु लोक केँ संग लऽ प्रसेनक खोजमे ओहि जंगलमे गेलाह।
जंगलमे हुनका सिंह सँ मारल घोड़ा सहित प्रसेनक मृतदेह देखि सिंहक पदचिन्हक अनुसरण करैत भालू सँ मारल सिंह केँ देखलखिन, भालूक खोज करैत अन्हार धोधरिमे अप्पन तेज सँ सौए योजन भीतर दिव्य महल में झूलापर झूलैत जाम्बवानक पुत्र सुकुमार आ लटकैत मणि कँ देखलनि आ ओतऽ दिव्य सुन्दरी जाम्बवती केँ देखलनि जे कृष्ण केँ देखितहि मोहित भऽ हिनका मणि दऽ भागि जयबाक आग्रह केलकनि -तावत् जाम्बवान सूतल छलाह ।कृष्ण जोर सँ शंख बजा जामवन्त केँ जगा देलनि आ कृष्णसँ युद्ध शुरू भऽ गेल, तावत् सात दिनधरि आस देखि द्वारिका वासी निराश भऽ घूरि घर चलि गेल आ सब कृष्ण केँ मृत बुझि हुनक प्रेत-क्रिया कऽ देलनि। एकैस दिनक युद्धक बाद जामवन्त केँ बुझा गेलनि जे ई साक्षात् राम अपन शर्तानुसार हमरा दर्शन देबऽ आयल छथि तखन ओ हुनक बिबाह जाम्बवतीसँ करा बिदाइमे वएह स्यमन्तक मणि देलनि आ तखनहि कृष्ण आबि द्वारिकावासी केँ सब बात बतौलनि।
चन्द्रमाकेँ अपन रूप पर अहंकार भऽ गेलापर ओ गणेशपर व्यंग्यात्मक ठहक्का लगौने छलाह आ गणेशक श्रापसँ ओ जलमे कुमुदिनीक मध्य नुका गेल छलाह, फेर ब्रह्मा सहित सभ देवता गणेशकँ प्रसन्न करा शापसँ हुनका मुक्ति एहि शर्तपर भेटलनि जे भादव शुक्लचौठमे अहाँक खाली हाथेँ जे दर्शन करत ओकरा मिथ्यापवाद लगतै आ तहिए सँ ओहिदिन "चौरचन पाबनि " होयत अछि।

चौरचनक चन्द्र-दर्शनक मन्त्र ---

 सिहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः।

"मिथिला दैनिकक्" न्यूज पोर्टलक तरप सँ समस्सत मिथिलावासी के चौरचन(चौठी चांद)पाबैनक अशेष शुभकामना।
#शुभकामना # समस्त मिथिलावासी #मिथिला दैनिक #मैथिली समाचार