मिथिलाक लाल भोगेंद्र शर्मा मजदूरी करीकेँ केलनि विद्यापति धामक स्थापना

सहरसा (सत्तरकटैया)। 07 फरवरी। सहरसा जिला मुख्यालय सँ सात किलोमीटरक दूरी पर स्थित लक्ष्मीनियां गाम विद्यापति धाम केँ नाम सँ प्रसिद्ध होयत जे रहल अछि। विद्यापति धाम आब पूरा बिहार-नेपाल मे चर्चित होमे लागल अछि। एहि धमक स्थापनाक कथा बहुत रोचक अछि।  लक्ष्मीनियां गाम मे मूर्तिकार भोगेंद्र शर्मा पेंटिंग करैत रहथिन। ऑफसेट केर जमाना अएलाक बाद ओ लगभग बेरोजगार भ' गेला। हुनका शुरूवे सँ मैथिली और मिथिला सँ अगाध प्रेम छल। मैथिलीक प्रति प्रेमक हद एहेन छल कि ओ स्कूल सभमे पहुंच शिक्षक सभसँ बच्चा सभकेँ मैथिली पढ़ेबाक बात करैत रहथिन। 

 भोगेंद्र शर्मा मैथिल कोकिल महाकवि विद्यापति केँ अप्पन गाम मे बसबे चाहैत रहथिन। एहि बातक चर्चा ओ अप्पन ग्रामीण सभक संग केलनि मुदा कियो हुनका बात पर ध्यान नहि देलनि। 2001 मे भोगेंद्र अप्पन सपना साकार करबाक लेल सहरसा नंदलाली पथ केँ वर्तमान विद्यापति चौक पर एक बरक गाछ लगा ईंटा राखीकेँ ओहि पर विद्यापति धाम लिख देलनि। ऐहिक बाद ओ विद्यापति केँ मूर्तिक स्थापना केर संकल्प ल' झोरा ल'केँ घर सँ निकैल पड़ला।

मूर्तिकार भोगेंद्र शर्मा विद्यापति धामक स्थापना लेल जगह-जगह चंदा मांगब शुरू केला। ओ घूमी - घूमी एहि बातक पता करे लागला की एहि इलाकाक कुन लोग कता काज करैत अछि। भोगेंद्र हुनका सभसँ संपर्क करी हुनकर वेतन भेटबाक तारीख बुझी लैत रहथिन आओर ओहि तिथि आता पहुंच विद्यापति धामक नाम पर हुनका सँ चंदा ल' लैत रहथिन। ओ दिल्ली, पंजाब, मुंबई, कोलकाता, बंगलुरू सहित देशक कैको शहर सँ एहि तरहे चंदा एकत्रित केला। विद्यापति धामक स्थापना लेल भोगेंद्र खुदो पंजाब व हरियाणा मे मजदूरी केला आओर वापस गाम पहुंचला पर बाबा विद्यापति केँ मूर्ति बनायब शुरू केला। हुनकर बेटीक बिआहक बाद डाली पर के पाई लोग सभ देलनि ओहिक अलावा आओर 10 हजार ब्याज पर पैसा ल' ओ मूर्ति निर्माणक संकल्प केँ पूरा केला। विद्यापति केँ मूर्ति बनलाक बाद किछु जमीन केँ आवश्यकता छल। 

भोगेंद्र सरकारी दफ्तर के कर्मी देवनाथ यादव सँ संपर्क केला। देवनाथ यादव सेहो मैथिली प्रेमी निकलला। ओ साढ़े तीन कट्ठा जमीन धामक नाम पर दान द' देलखिन। जमीन भेटते तत्कालीन विधायक संजीव झा परिसर केँ विकास लेल पौने तीन लाख केँ फंड देलनि आओर बरख 2014 मे विद्यापति धाम केँ विधिवत उद्घाटन भेल। 

मूर्तिकार भोगेंद्र शर्मा अप्पन कला आओर कौशलक बल पर चंदा व दानक पाई सँ विद्यापति धाम मे कैको महापुरुष केँ मूर्ति बनेना छथि। जाहिमे कवि विद्यापति केँ अलावा राजा जनक, याज्ञवलक्य, राजा सलहेस, मांगैन खबास, वीर लोरिक, दीनाभद्री, अयाची, बेंगठा चमार, धर्नुधारी सीता केँ मूर्ति शामिल अछि। आब तेँ एहि घाम मे अब मूर्ति दान करनिहार सभक सेहो भीड़ जमा हुवा लागल अछि। भोगेंद्र शर्मा कहलनि कि हालहि मे प्रयोगक तौर पर धर्नुधारी मां सीता केँ 12 फीटक मूर्ति बनाओल गेल अछि। एहेन प्रतिमा भारत-नेपाल मे कतहुँ नहि अछि। ऐहिक बाद कारू खिरहरि व संत रविदास केँ मूर्ति बनेबाक योजना अछि। 

उद्घाटनक बाद विद्यापति धाम जिला सहित पूरा बिहार मे पहचान बनेबा में सफल भेल अछि। विद्यापति धाम केँ पर्यटन स्थल बनेबाक लेल तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डाॅ अब्दुल द्वारा पर्यटन मंत्री अनिता सिंह केँ पाती सेहो भेजल गेल छल, मुदा सरकारक दिस सँ एखन धरी कोनो कार्यवाही नहि भेल अछि। भोगेंद्र शर्मा क' उम्मीद अछि कि ई जगह मैथिली और मिथिला प्रेमिय सभक लेल एक तीर्थस्थल बनत। विद्यापति  धामक विकास लेल भोगेन्द्र अप्पन जीवन समर्पित क' देना छथि। हुनका प्रयास सँ सहरसा मे एक सुंदर व समर्पित जगह केर स्थापना भेल अछि। 'मिथिला दैनिक' परिवार हिनकर एहि जुनून केँ सलाम करैत अछि।