तिला संक्रांति (जराउर,खिचड़ी ,मकर संक्रांति)

मधुबनी। 13 जनवरी। [मिहिर कुमार झा "बेला"] तिला संक्रांति पाबनि मोक्ष लेल प्रतिबद्धता हेतु होइछ - निःस्वार्थ सेवा - निष्काम कर्म करैत मुक्ति पाबैक लेल शपथ-ग्रहण - एहि पाबनिक बहुत महत्त्व अछि। जेना माता -पिता के हाथ तिल-चाउर खाइत हम सभ मैथिल माँ के ई पुछला पर जे ‘तिल-चाउर बहमें ने..?’ हम सभ इ कहैत गछैत छी जे ‘हाँ गे माँ! बहबौ!’ आ इ क्रम तीन बेर दोहराबैत छी - एकर बहुत पैघ महत्त्व होइछ।

पृथ्वीपर तिनू दृश्य स्वरूप जल, थल ओ नभ जे प्रत्यक्ष अछि, एहि तिनूमें हम सभ अपन माय के वचन दैत तिल-चाउर ग्रहण करैत छी। एक-एक तिल आ एक-एक चाउरके कणमें हमरा लोकनिक इ शपथ-प्रण युगों-युगोंतक हमरा लोकनिक आत्म-रूपके संग रहैछ। बेसी जीवन आ बेसी दार्शनिक बात छोड़ू… कम से कम एहि जीवनमें माय के समक्ष जे प्रण लेलहुँ तेकरा कम से कम पूरा करी, पूरा करय लेल जरुर प्रतिबद्ध बनी।

समस्त मिथिलांचल वासी क' "मिथिला दैनिक" परिवार दिस सँ तिला संक्रांतिक बहुत रास शुभकामना आओर बधाई।