पृथ्वीपर तिनू दृश्य स्वरूप जल, थल ओ नभ जे प्रत्यक्ष अछि, एहि तिनूमें हम सभ अपन माय के वचन दैत तिल-चाउर ग्रहण करैत छी। एक-एक तिल आ एक-एक चाउरके कणमें हमरा लोकनिक इ शपथ-प्रण युगों-युगोंतक हमरा लोकनिक आत्म-रूपके संग रहैछ। बेसी जीवन आ बेसी दार्शनिक बात छोड़ू… कम से कम एहि जीवनमें माय के समक्ष जे प्रण लेलहुँ तेकरा कम से कम पूरा करी, पूरा करय लेल जरुर प्रतिबद्ध बनी।
समस्त मिथिलांचल वासी क' "मिथिला दैनिक" परिवार दिस सँ तिला संक्रांतिक बहुत रास शुभकामना आओर बधाई।