प्रस्तुत अछि हिनकर टटका रचना "बउआ बुच्ची बड़ खुरलुच्ची"
बउआ बुच्ची बड़ खुरलुच्ची
चाड़ टाट के नोचत लत्ती
जऽ किछू मिल बुच्ची के कहबइन
शांत भऽ बइन जेती भगवत्ती
आब तऽ बीच मे बउआ फसला
देखिअउ देह पर टूटत बत्ती
हयो बउआ बुच्ची बड़ खुरलुच्ची।
जऽ अप्पन अंगना मे जेबई
दउड़ता लेने मुँहक हँस्सी
जऽ बउआ के मुँह दिस तकबई
जईर जैत दिल मे प्रेमक बत्ती
हयो बउआ बुच्ची बड़ खुरलुच्ची।
भगवानक रुप अछि बउआ बुच्ची
फाँकत चीन्नी मुठिये मुठ्ठी
बात सुनब त लागत हँस्सी
सुखक जीवन बउआ बुच्ची
हयो बउआ बुच्ची बड़ खुरलुच्ची।
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✍ उज्ज्वल कुमार झा
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