हमर छुटेयै नैहर (मैथिली कविता) : अजीत झा

मन त' बुझेयै डर,
हमर छुटेयै नैहर ,

केकरा हम कहबय,
के हमर बुझतै,
मोनक दसा ई,
केकरो नय सूझतै,
हमरा ई भेटतै नइ घर,
हमर छुटेयै नैहर ,

ये नवकि काकी,
मैय के त देखबै,
ओकर त नोरे,
अहि सब पोछबै,
हमरा नइ उठयै कौर,
हमर छुटेयै नैहर ,

रौ छोटका बौआ,
तू हु त अबिहै,
जो कियो नइ मानो,
बा के मनबिहै,
हमरा नइ छोरिहै असगर,
हमर छुटेयै नैहर,

लेखक केँ संक्षिप्त परिचय..

नाम : अजीत झा
गाम : बड़की तरौनी (दरभंगा)
हिनक एकटा कविता संग्रह  'मेरा गांव मेरे खेत' हिन्दी मे प्रकाशित अछि आओर दोसर कविता संग्रह प्रकाशनाधीन अछि।