लोक आस्था के महापर्व "छठ" पूजाक चारि दिनक अनुष्ठान के एक - एक दिनक महत्व...
पहिल दिन (नहाय - खाय) :- छठ पूजा व्रत के पहिल दिन नहाय - खाय केर विधि कायल जायत अछि। एहि दिन स्वयं आओर आसपास के माहौल क' साफ सुथरा कायल जायत अछि। लोग अप्पन घरक सफाई करैत छथि आओर मन क' तामसिक भोजन सँ दूर करि पूरा तरहे शुद्ध शाकाहारी भोजन करैत छथि।
दोसर दिन (खरना) :- छठ पूजा के दोसर दिन खरना केर विधि कायल जायत अछि। खरना केर मतलब अछि पूरा दिन उपवास। एहि दिन व्रती दिन भरी पैनक एक बूंद तक ग्रहण नहि करैत छथि। सांझ भेला पर गुड़ आओर चाउर के खीर बना प्रसाद बाँटैत छथि आ खुदा ग्रहण करैत छथि।
तेसर दिन छठी मैया क' सांझक अर्घ्य देल जायत अछि। दिन भरिक उपवास के बाद सांझ क' डूबैत सूर्य क' अर्घ्य देल जायत अछि। मान्यता केर मुताविक सांझक अर्घ्य के बाद राति म' छठी माता के गीत गाओल जायत अछि आओर व्रत कथा सेहो सुनल जायत अछि।
चारिम दिन :- छठ पूजाक चारिम आओर अंतिम दिन भोरका अर्घ्य देल जायत अछि। एहि दिन भोरका सूर्य निकलै सँ पहिने घाट पर सभ कियो पहुँच जायत छथि आओर उगैत सूर्य क' अर्घ्य दैत छथि। अर्घ्य देबाक बाद घाट पर छठी मैया स' संतान-रक्षा आओर घर परिवारक सुख शांति केर वर मांगल जायत अछि। एहि पूजन के बाद व्रती सभके प्रसाद बांटलाक बाद खुदा प्रसाद ग्रहण करि व्रत खोलैत छथि।
0 टिप्पणियाँ
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।