एक नजैर अनन्त चतुर्दशी : हिंदू धर्म म' एहेन मान्यता अछि कि संसार क' चलबै बला प्रभु कण-कण म' व्याप्त छथि। ईश्वर जगत म' अनंत रूप म' विद्यमान छथि। दुनिया केर पालनहार प्रभु केँ अनंतताक बोध करबै बला एक कल्याणकारी व्रत अछि, जाहिके 'अनन्त चतुदर्शी' केर रूप म' मनाओल जाएत अछि।
भाद्रपद मासक शुक्लपक्ष केर चतुर्दशी क' 'अनन्त चतुर्दशी' पाबनि मनाओल जायत अछि। एहि दिन अनन्त भगवान (श्रीहरि) केर पूजा करि बैह पर अनन्त सूत्र बान्हल जायत अछि। भक्त सभक एहेन विश्वास अछि कि अनन्त सूत्र धारण करबा सँ हर तरहक मुसीबत सँ रक्षा होएत अछि।
अनंत चतुर्दशी केर महात्म्य : एहेन मान्यता अछि कि महाभारत काल सँ एहि व्रतक शुरुआत भेल अछि। ओहि समय जखन पांडव जुआ म' अप्पन राज्य गवां वन-वन भटकैत छलथि, त' भगवान श्रीकृष्ण हुनका सभके अनन्त चतुर्दशी व्रत करबाक लेल कहलनि। कष्ट सभसँ मुक्ति प्राप्त करबाक लेल धर्मराज युधिष्ठिर अप्पन सभ भाई आओर द्रौपदी संग ई व्रत केलनि। ओहिये स' एहि व्रतक चलन शुरू भेल।
अनन्त चतुर्दशी व्रत करै बला श्रद्धालु भगवान विष्णु वा श्रीकृष्ण रूपक पूजा करैत छथि। अनन्त स्वरूप चौदह गांठ बला अनन्त सूत्र केर विधिपूर्वक पूजा करि व्रतक कथा सुनबाक बाद ऐहिके बैह पर बान्हल जायत अछि। पूजा के बाद पुरुष सूत्र क' अप्पन दहिना हाथ पर, जखनकि स्त्रि सभ अप्पन बाया हाथ पर बन्हैत छथि।
अनंत सूत्र बान्हबाक मंत्र एहि प्रकारे अछि;
अनंत संसार महासमुद्रे
मग्नं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व
ह्यनंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
0 टिप्पणियाँ
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।