दरअसल, भारत के कोना - कोना म' शारदीय नवरात्रि मनेबाक अप्पन शैली आओर परंपरा रहल अछि। एहि कड़ी म' सहरसा जिला मुख्यालय स' 22 किलोमीटर केर दूरी पर महिषी गामक माँ उग्रतारा शक्तिपीठ म' सेहो खास अनुष्ठान केर आयोजन कायल जायत अछि।
माँ उग्रतारा शक्तिपीठ म' बरख भरी भक्त सभक आवागमन जारी रहैत अछि मुदा, शारदीय नवरात्रि म' एहिठाम भक्त सभक तांता लागल रहैत अछि। एहि बरख सेहो एहि विख्यात शक्तिपीठ पर मैयाक दर्शन करबाक लेल देश-विदेश केर श्रद्धालु सभक भीड़ लागल रहैत अछि।
एहि शक्तिपीठ के खास आकर्षण सप्तमी तिथि वा नवरात्रि के सातम दिन सँ शुरू होयत अछि। एहि मंदिर म' मां तारा केर अष्टधातु सँ बनल प्रतिमा स्थापित अछि आओर एहेन मान्यता अच्छी कि माता सती के एक नेत्र एहि धाम म' गिरल छल जे कालांतर म' एहि पावन तीर्थ केर रूप म' स्थापित भेल।
शास्त्र आओर उपलब्ध प्रमाण सभक मुताबिक पांचवीं शताब्दी (ईसा पूर्व) म' माँ उग्रतारा एहि मंदिर केर स्थापना स' पहिने एहि स्थान के आस-पास पीपर के एक गाछक धोधैर म' स्थापित छली। एहि शक्तिपीठ क' देशक 52 जागृत शक्तिपीठ म'स' एक केर दर्जा प्राप्त अछि।
एहेन मान्यता अछि कि माँ तारा क' वर्तमान स्थान पर वशिष्ठ मुनि अप्पन अराधना स' स्थापित केना छलथि एहि लेल ऐहिके "वशिष्ठ आराधिता माँ उग्रतारा शक्तिपीठ" सेहो कहल जायत अछि। एता आबै बला भक्त सभक एहेन विश्वास अछि कि सच्च आओर समर्पित मन सँ आराधना करबा पर महिमामयी आओर दयालु माँ तारा सभक मन केर मुराद पूरी करैत छथि।
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