येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां प्रति बच्चामि, रक्षे मा चल मा चल।।
रक्षा बन्धन एक हिन्दू पाबनि थीक जे हर बरख श्रावण मास के पूर्णिमा दिन मनाओल जाएत अच्छी। रक्षा बन्धन पाबनि भाई-बहिनक पवित्र स्नेह केर प्रतीक थीक। ई हिंदु सभक विशेष पाबनि थीक। भाई-बहिनक स्नेहक प्रतीक एहेन पाबनि विश्व भरी म' कतहु आओर नहि मनाओल जाएत अछि। श्रावण मासक पूर्णिमा के दिन मनाओल जेबाक कारण रक्षा बन्धन क' श्रावणी नाम सँ सेहो जानल जाएत अछि। रक्षा बन्धन के अवसर पर देश भरिक बाजार म' विशेष चहल-पहल होएत अछि। रंग-बिरंगक राखी सँ दोकान सभक रौनक देखैत बनैत अछि। लोग तरह-तरह के राखी किनैत छथि।
रक्षा बन्धन केर पाबनि भाई-बहिनक संबंध क' आओर मधुर एवं प्रगाढ़ बनबैत अछि। एहि दिन बहिन अप्पन भाई के हाथ म' राखी बान्हैत हुनका सँ अप्पन रक्षा करबाक वचन लैत छथि आओर भाई केर दीर्घायु होयबाक कामना करैत छथि। भाई अप्पन बहिन के रक्षा करबाक वचन दैत छथि। आजुक दिन भाई अप्पन सामर्थ्य अनुसार बहिन क' उपहार सेहो दैत छथि। रक्षा बन्धन सँ किछु दिन पहिने बाजार राखी, उपहार आओर मिठाई सभ सँ सैज जाएत अछि। बहिन राखी, मिठाई एवं फल आदि वस्तु भाई क' भेंट करैत छथि आओर भाई अप्पन बहिन क' आशीर्वाद संगे उपहार वा टाका दैत छथि।
आए कैल्हि राखी पाबनि केँ पवित्रता अस्थिर - अस्थिर समाप्त होएत जे रहल अछि, आए कैल्हि भाई - बहिनक स्नेह हराबैत नजैर आएब रहल अछि। हमरा सभके बुझबाक चाही कि बहिन क' धन वा उपहार द' भाई केर कर्त्तव्य ख़त्म नहि भ' जाएत अछि। हमरा लोकनि क' राखी पाबनिक पवित्रता के सेहो ध्यान रखबाक चाही आओर आजीवन अप्पन बहिन के रक्षा करबाक व्रत लेबाक चाही। राखी के महत्त्व ओहिक सुन्दरता म' नहि बल्कि ओहि रेशम के सूत म' छुपल प्राचीन परंपरा आओर भाई-बहिनक स्नेह केर पवित्र भावना म' अछि। भाई - बहिन के प्रेमक प्रतीक एहि पाबनि केर अवसर पर समस्त मिथिलांचल वासी क' हृदय सँ शुभकामना आओर बधाई।
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