मधुबनी। 04 जुलाई। पछिला नौ दिन स' चैल रहल सौराठ सभाकेँ कैल्हि मंगल दिन समापन भेल। कैल्हि अन्तिम दिन सेहो हजारों के संख्या म' लोग सभा गाछी पहुँचल। कैल्हि एहि अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन सेहो भेल। बताओल जे रहल अछि एहि कि एहि बेरक सभा म' करीब तीन सौ बिआह केँ पंजीकरण काएल गेल।
मैथिल ब्राह्मणक वैवाहिक संबंध केँ निर्धारण लेल प्रसिद्ध 'सौराठ सभा' म' एक समय वरागत-कन्यागत के बिच शास्त्रार्थ छल। भावी दूल्हा केँ चयन हुनक ज्ञान आओर क्षमता क' परखबाक बाद काएल जायत छल। वर आओर वधू पक्ष के सात पुश्तक वंशावली देखल जायत छल आओर फेर जांच-परख करि बिआह तय काएक जायत छल।
सन 1326 ई. म' मिथिला नरेश हरीसिंह देव लिखित रूपसँ पंजी प्रथा केर व्यवस्था केना छलाह आओर एहि प्रथा केँ नींव राखने छलाह।
एहिठाम माता पक्ष आओरपिता पक्ष केँ सात पु्श्तक वंशावली म' ई देखल जाएत छल कि कतो एहि दुनू पक्ष केँ बीच पहिने कहियो रक्त संबंध त' नहि छल, ओहिक बाद पंजीकार बिआह केँ अनुमति दैत छलखिन। प्रतिबरख लाखों लोगक जमावड़ा आओर सैकड़ो जोड़ि केँ आदर्श बिआह के लेल सौराठ सभा विश्वभरी म' प्रसिद्ध अछि।
मुदा करीब एक दशक स' ई संस्कृति विलुप्त होएत जे रहल अछि। आधुनिकता आओर एखुनका भाग-दौड़ के जिनगी म' लोग मिथिलांचलक एहि संस्कृति क' बिसरैत जे रहल छथि। बिआहक लेल एहिठाम आएब आब 'शान' नहि शर्म केँ बात बुझल जे लागल अछि।
मुदा एहिबेर सौराठ सभा म' हजारों के संख्या म' देशक कोने-कोने स' ब्राम्हण लोग पहुँचलैथ आओर 300 स' बेसी बिआह सौराठ सभा म' पंजीकृत भेल। नौ दिवसीय सौराठ सभा के समापनक संगहि मिथिलांचल म' बिआह के लगन सेहो समाप्त भ' गेल।
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