गांधी जीक प्रिय ‘बिहार विद्यापीठ’ केँ भेटत सरकारी संरक्षण

पटना : देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना मजरूल हक आओर ब्रजकिशोर प्रसाद आदि नेता लोकनिक सहयोग सँ सन 1921 मे महात्मा गांधी द्वारा स्थापित 'बिहार विद्यापीठ' क' पुनः जीवित करबाक फेर सँ एक उम्मीद जागल अछि। चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह के क्रम म' आयोजित कार्यक्रम मे बिहार विद्यापीठ पहुँचल राज्यपाल रामनाथ कोविंद ऐहिके गांधी जीक सपना केर मुताबिक विश्वविद्यालय बनेबाक दिशा म' काज करबाक गप कहलनि।
राज्यपाल विद्यापीठ के संबंध मे बात करैत कहलनि कि जयप्रकाश नारायण जेहेन कैको महापुरुष सभ एहि बिहार विद्यापीठ मे शिक्षा हासिल कएलनि। गांधी जी मौलाना मजहरुल हक क' कुलपति, ब्रजकिशोर प्रसाद क' उपकुलपति आओर देशरत्न राजेंद्र प्रसाद क' प्रधानाचार्य नियुक्त केलनि। राज्यपाल रामनाथ कोविंद अप्रत्यक्ष रूप सँ इयो मानलनि कि ऐतिहासिक बिहार विद्यापीठ के सरकारी तौर पर अनदेखी भेल अछि। जाहि कारण ऐहिक विकास अपेक्षित रूप सँ नहि भ' सकल।
राज्यपाल विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश केर कोशिसक तारीफ करैत कहलनि कि जे गतिविधि चैल रहल अछि आओर जाहि तरहक प्रयास काएल जे रहल अछि अगर एनहि चलैत रहल तेँ आगूओ सफलता जरूर भेटत। आगा ओ कहलनि कि गुजरात विद्यापीठ होय वा बिहार विद्यापीठ, गांधी जी विद्यापीठ केर चलन शुरु केना छलाह। गांधी जी जाहि तरहे विद्यापीठ बनबे चाहैत छलाह हम सब ओहि दिशा मे काज करब। राज्यपाल कहलनि कि ओ विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश से कहलनि कि ओ विद्यापीठ क' विश्वविद्यालय बनेबाक संबंध मे एक ज्ञापन दैथ। राज्यपाल कहलनि कि ओ एहि बात केँ मुख्यमंत्री के संज्ञान म' लौता। 

समारोह मे पहुँचल अतिथि सभक स्वागत करैत बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष विजय प्रकाश कहलनि कि बिहार विद्यापीठ केर स्थापनाक उद्घाटन मात्र  महात्मा गांधी नहि केना छलाह, बल्कि 62 हजार टाकाक  चंदा एकत्र करि ऐहिके संवर्द्धन लेल सेहो देना छलाह। आगा ओ कहलनि कि महात्मा गांधी के सपनाक मुताबिक़, बिहार विद्यापीठ बहुविध व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलबे जे रहल अछि। बी एड प्रशिक्षण केर प्रारंभ एहि सत्रसँ शुरू काएल जे रहल अछि।  

समारोह मे विशिष्ट अतिथिक रूपमे उपस्थित भेल एलएन मिथिला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व प्रसिद्ध इतिहासकार रत्नेश्वर मिश्र बिहार विद्यापीठ क' पुनः जीवित करबाक बात कहलनि। पटना विश्वविद्यालय के प्रो॰ भारती एस॰ कुमार सेहो बिहार विद्यापीठ के जीर्णोद्धारक बात कहलनि। भारती कहलनि कि चारि बरख बाद विद्यापीठ केर स्थापनाक शताब्दी के अवसर पर हम सभ एहुके जश्न मना सकैत छी आओर ओहिके तैयारी एखने सँ होबाक चाहि। 

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