सहरसा जिलाक बनगाँव गाम मे 'घुमौर होली' खूब धूमधाम सँ मनाओल गेल

सहरसा। 14 मार्च। सहरसा जिलाक बनगाँव गाम मे परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं द्वारा 1810 ई. मे शुरू कायल गेल अद्वितीय होरी (होली) जाति, वर्ग व सम्प्रदाय भिन्नता सँ दूर साम्रदायिक सौहार्द एवं समरश समाजक रंग, भंग आओर प्रेमक उमंगक संग मनाओल गेल। 
बनगाँव मे मनाओल जाय बला 'घुमौर होली' केर अप्पन अलग पहचान अछि। एहिठामक होली मे लोग एक दोसरक कन्हा पर सवार भ' उठापटक करैत होली मनाबैत अछि। बनगाँव मे घुमौर होली सभ जगहक होली सँ एक दिन पहिने मनाओल जायत अछि। बनगाँव मे ई रविवार दिन खूब धूमधाम सँ मनाओल गेल। बनगाँव के होली ब्रज केर 'लट्ठमार होली' जोका प्रसिद्ध अछि।
कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय सँ सटल कहरा प्रखंड के बनगाँव गामक  अप्पन सांस्कृतिक पहचान अछि। एहिठामक 'घुमौर होली' ऐहिक एक कड़ी अछि। मान्यता अछि कि ऐहिक परंपरा भगवान श्रीकृष्णक काल से चलैत आइब रहल अछि। वर्तमान मे खेलै जाय बला होली के स्वरूप 1810 ई. मे एहिठामक प्रसिद्ध परमहंस लक्ष्मीनाथ गोसाईं (बाबजी) द्वारा शुरू  कायल गेल छल। 

Post a Comment

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने