हमर मान्यता अछि जे कार्यक प्रति उत्साह एवं समर्पणकें व्यक्तिक उम्रसँ तुलना नञि कयल जेबाक चाही। उम्रकें बढ़लासँ शारीरिक शक्तिमे कमजोरी अवश्य अबैत अछि परन्तु अनेकों प्रकारक कार्य सम्पादनसँ स्वयंकें आत्मसंतुष्टिक अनुभव एवं जीवनमे सुख-शान्तिक भावसँ संतुष्टिक अनुभूति आंतरिक उत्साहकें बर्द्धित करैत अछि।
वर्त्तमान समयमे हजारों एवं लाखों व्यक्ति सेवानिवृत भऽ आर्थिक दृष्टि एवं शारिरीक रुपें स्वस्थ आ मजबुत छथि । एहि प्रकारक व्यक्ति क योगदानसँ समाज क उत्थान एवं सुधार संभव भऽ सकैत अछि। शिक्षा संस्थान, समाजसेवी संस्थान एवं सामाजिक उत्थानसँ जुड़ल अनेकों कार्यक्रमकें मार्गनिर्देशनक माध्यमें वरिष्ठ व्यक्तिक योगदानकें सेवा हेतु समाज लाभान्वित भऽ सकैत अछि।
अतः आवश्यकता अछि उम्रक अनुभव समाजकें पथ-प्रदर्शक केर भूमिकामे स्वीकार करैत, श्रेष्ठ समाजक निर्माणमे सहभागिताकें सम्मानपूर्वक स्वीकार करी। एहि कार्य हेतु वस्तुतः उम्र बाधक नहि भऽ सकैत अछि जँ जीवनमे उत्साहक समायोजन दृढ़ हो। इत्यलम्।
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