शहीद दिवस पर विशेष - कहिया भेटत देशक शहीद सभके न्याय ?

सहरसा। 23 मार्च। संपादकीय।[जितमोहन झा (जितू)] आजुक दिन 23 मार्च 1931 के ब्रिटिश सरकार देशक तीन शूरवीर क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरू आओर सुखदेव के फांसी देना छल। एक दिस जता आय 86 बरख बीत गेल, मुदा तीनो केर कुर्बानी क' देश शिद्दत सँ स्मरण करि हुनका सभके श्रद्धांजलि देब नहि बिसरैत अछि। ओतहि दोसर दिस आय सभसँ बड़का शर्म के गप अछि की देश मे 'भारत माता की जय' 'वन्दे मातरम्' केर नारा लगेबाक विरोध भ' रहल अछि। संगहि 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' 'भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी' आदि नारा लगबै बला आजाद घुइम रहल छथि। 

चिंतन करबाक गप ई जे देशक शहीद नहि तेँ हिन्दू छलाह, नहि मुसलमान, नहि सिख छलाह, नहि ईसाई, नहि दलित छलाह नहिये आन कुनु जाति वा धर्म। सभक एकहि पहचान छलैन्ह “भारतीय”, सभक एकहि परिवार छलैन्ह “भारत”, सभ वीर सपूत के एकहि उद्देश्य छलैन्ह “भारत माता केर आज़ादी/रक्षा”, हुनका सभक एकहि सपना छलैन्ह “भारत माता केर सम्मान पूरा विश्व करे”। ओ सभ भारत माता केर सच्चा संतान अपन  पहचान, परिवार, उद्देश्य आओर सपना खातिर शहीद भ' गेला लेकिन हमसभ की कएलहुँ ? आय हमरा सभक बीच एहेन कतेक लोग छथि जे कही सकैथ ओ एहेन कुनु काज केला जाहिसे एहि सभ शहीदक कुर्बानी व्यर्थ साबित नहि भेल होय ?

हमसभ यदि अपन पारिवारिक परिस्थिति या उम्र केर हवाला द' ई कहैत छी कि हम की करि तेँ हमसभ एहि देशक लेल शहीद भेल भारत माता केर  सच्चा संतान मे सँ किनको उम्र आओर तत्कालीन पारिवारिक परिस्थिति केर अध्ययन करि। शहीद महारानी लक्ष्मीबाई, शहीद खुदीराम बोस, शहीद भगत सिंह आदि एहेन कैको शहीद सभक बारे मे पढ़ि कि ओ कुन  उम्र मे शहीद भेलथि। जाहि उम्र मे आय देशक युवा एहि देशक भविष्य छोड़ि स्वयं केर भविष्य लेल गंभीर नहि होयत छथि ओहि उम्र मे ई सभ  महान आत्मा एहि देशक लेल शहीद भ' गेलथि। कैको शहीद अपन पाछा अपन गरीब परिवार, बूढ़ माता - पिता आदि छोड़ि चल गेलथि।

हम मानैत छी कि आय भारत के ओ हालात नहि अछि कि हर एक भारतीय हथियार हाथ मे उठा घर सँ निकैल पड़े। मुदा आइयो एक क्रांतिक आवश्यकता अछि। अलग तरहक क्रांति, अपन सोच बदलबाक क्रांति। आजुक समाज केर किछ उदाहरण देखु :- समाज मे जातिवाद केर विरोध मुदा वोट सिर्फ अपन जाति के नेता के देब। राजनीति मे परिवारवाद केर विरोध मुदा हर बड़का नेता के बच्चा के योग्यता पर विचार केना बिना वोट देब। देशक लेल भ्रष्टाचार केर विरोध मुदा अप्पन बच्चा सँ उम्मीद ओ एहेन  सरकारी अधिकारी बने जते ऊपर के आमदनी होय। बेटीक विवाह घरी दहेजक विरोध मुदा बेटाक विवाह घरी दहेजक लेल सुरसा सनक मुंह फारब। देशक सभसँ बड़का समस्या ई अछि की हमसभ हर बदलाव केर  उम्मीद दोसरा सँ करैत छी। ताहिलेल हमसभ सभसँ पहिने अपन सोच बदली तखने देश बदलत। 

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