सहरसा। 27 दिसम्बर। जोश आर आवेश मे अंतर तेँ बहुत नहि होयत अछि, मुदा दुनुकेँ अर्थ अलग भ' सकैत अछि। एक जोशीला युवक अप्पन समाज व देशक स्थिति मे बदलाव आनि सकैत छैथ। मुदा एक आवेशित युवक अप्पन आर अप्पन समाज केर सिर्फ अहित क' सकैत छैथ। आवेश केर एक रूप तामस सेहो होयत अछि। जोश हमरा सभकेँ सदिखन आगू बढ़बाक प्रेरणा दैत अछि। जीवनमे सफलता हासिल करबाक लेल हमरा सभक भीतर जोशक होयब बहुत आवश्यकता होयत अछि। जोश आर आवेश हर इंसान के भीतर होयत अछि।
हम आय एक एहेन युवा केर चर्चा करे जे रहल छी, जे नौकरी करैत सामाजिक काज करब नहि बिसरैत छैथ। जी हाँ, भारत भूषणराय एक एहेन युवा छैथ जे रातिमें सिक्युरिटी गार्ड केर नौकरी करैत छैथ, आर दिनमे समाजिक काज व लेखन। भारत भूषणराय मैथिली जगत केर संगे - संग हिन्दी जगतमे सेहो काज क' रहल छैथ। ओ मैथिली भाषा आर हिन्दी भाषा मे कविता , गीत , आलेख , व्यंग, लघु कथा आदि लिखैत रहैत छैथ। भारत भूषणराय मैथिली मंच आर हिन्दी मंच पर अप्पन कविता आर गीत कैको बेर प्रस्तुत क' चुकल छैथ। ऐहिक सोशल मीडिया, मैथिली जिंदाबाद आर मिथिला दैनिक पर सेहो लिखैत रहैत छैथ।
सहरसा जिला के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंडक बघवा गाम के रहिवासी भारत भूषणराय सन 1990 मेँ मीरा देवी आर स्वर्गीय कैलाश राय केर इकलौता पुत्रक रूपमेँ जन्म लेलन्हि। ओ बचपने सँ निरन्तर संघर्ष करैत अप्पन अलग पहचान स्थापित केलन्हि अछि।
भारत भूषणजी सँ भेल बातचीत केर दौरान ओ कहला कि ओ बचपने से पढ़ाई केर संगे संग काज सेहो क' रहल छैथ, किएक जे हुनका परिवार मे कियो कमेनिहार नहि छैन्ह। एहिलेल हुनका पढ़ाई केर संगे संग काज सेहो करे पड़ैत छैन्ह। ओ सभ तरहक काज लेल अपना आप के तैयार राखैत छैथ, तरकारी बेचब से ल' के खलासी, कवाड़ीवाला, परचून केर दोकान, प्रिंटिंग प्रेस होय या फेर सिक्युरिटी गार्ड केर नौकरी।
आगा ओ कहला कि जखन हम 2 बरखक छलहुँ तखने पिताजी स्वर्गवास भ' गेलाह। परिवार मे सदस्यक संख्या बहुत बेसी अछि। पिताजी 4 भाई आर 3 बहन छलाह। घरक स्थिति देखि मजबूरन हुनका काज करे पड़लन्हि। काज करबाक लेल एक बेर ओ जे घरक आँगन बाहर निकलला से निकलले छैथ। ओहि समय से ल' के एखन धरी ओ "जीवनक आपाधापी" मे बाझल छैथ।
हुनकर सहनशीलता केर कतबो बखान करब कम होयत। भारत भूषणजी अप्पन कर्तव्य आर आर जिमेवारी केर सही सँ निर्वाह करबाक कोशिश क' रहल छैथ। ओ शुरूवे से काजक संगे संग अप्पन लक्ष्य केर प्रति आगू बढ़ैत रहल छैथ। हुनका अपना संगे संग परिवारक भरण - पोषण सेहो करबाक छैन्ह, एहि लेल ओ रतिमें सिक्युरिटी गार्ड केर नौकरी करैत छैथ, दिनमे समाजिक काज आर लेखन।
भारत भूषणराय अप्पन गामक लेल मिशन बघवा विकास अभियान शुरू करि गामक सभ युवावर्ग क' एककृत करि बघवा विकास मंच संगठन बनेलन्हि। जे कि 2 बरख से बघवाक विकास लेल कार्यरत अछि। ओतहि भारत भूषणजी से जखन लेखनी केर बारे मे पुछलहुँ तेँ ओ कहला "हम तेँ जानैते नहि छलहुँ की होयत अछि लेखनी, की होयत अछि कविता, की होयत अछि व्यंग्य आर की होयत अछि लघुकथा ?, किएक जे कहियो एतबा समय नहि भेटल या फेर हम्मर पारिवारिक प्रष्ट-भूमि एहेन नहि छल जे साहित्य व आन कुनु किताब पढ़बाक शौख राखितो, एहि लेल कहियो लेखनीक बाड़े में सोचबे नहि केलहुँ, चुकी छोट - छिन्ह उम्र से जीवन में बहुत किछ देखबाक लेल भेटल ताहि लेल मोन में बहुत रास बात छल, छोटे उम्र में बहुत किछ देखलहुँ ओहि केर बयान कखनो काल क' दैत छी।"
मिथिला दैनिक टीम एहेन सहनशील युवा क' सलाम करैत अछि।
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