एहि बरख सेहो कागज पर दौड़ैत रहल पेपर मिल, स्थापने काल से उपेक्षित रहल सहरसा

सहरसा। 31 दिसम्बर। स्थापने काल से एहेन बुझायत छल कि एहिठामक  जनप्रतिनिधि सभ सहरसा जिला केर विकास मे रूचि लेबाक कोशिश नहि केलन्हि। विकास केर मुद्दा पर सहरसा सदिखन उपेक्षा केर शिकार रहल अछि। जखन की सहरसा जिला के कैको बरख बाद बनल जिला सेहो एतुका तुलना मे बेसी विकास क' रहल अछि। चाहे विश्वविद्यालय स्थापित करबाक बात होय या रेलवे ओभर ब्रिज निर्माण या स्वास्थ्य सुविधा केर बात होय या बेरोजगारी दूर करबाक लेल स्थापित कायल गेल वैजनाथपुर पेपर मिल।  सदिखन एहिठामक लोग उपेक्षा केर शिकार भेल छैथ। 

जिला के सहरसा - मधेपुरा मुख्य सड़क कात वैजनाथपुर में बरख 1975 मे कोसी इलाका केर विकास आर युवा सभके रोजगार जोड़बाक लेल  बैजनाथपुर मे पेपर मिल केर स्थापना भेल छल। 48 एकड़ भूमि अधिग्रहण करि बिहार सरकार एहिके चलेबाक लेल निजी आर सरकारी सहयोग से बिहार पेपर मिल्स लिमिटेड कंपनी केर गठन केलन्हि छल। एहि कंपनी केर देखरेख मे मिल स्थापित करबाक काज शुरू भेल छल। 

मुदा 1978 मे निजी उद्यमि सभक करार खत्म होयबाक कारण काज रुकी गेल। तत्कालीन सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत परियोजना क' चलेबाक निर्णय लेलन्हि। जाहिक बाद बैजनाथपुर पेपर मिल बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम केर स्वामित्व मे आइब गेल।  बिहार सरकार आर निगम केर आपसी सहमति के बाद विदेश से एक पुरनका मशीन सेहो कीनल गेल। 1987 मे निगम कार्य स्थल क' अगला दुइ बरख मे तैयार करबाक लक्ष्य निर्धारित केलन्हि। मुदा जरूरत केर हिसाब से पाई नही भेटबा से अंतत: पूरा परियोजना ठप भ' गेल।

1996-97 मे बैंक ऑफ इंडिया  7 करोड़ 40 लाख देलन्हि तेँ मिल के काज फेर सँ शुरू भेल, लेकिन एहि पाई से मिलक 80 प्रतिशत काज भ' सकल।  बरख 2012 मे सूबे केर तत्कालीन उद्योग मंत्री रेणु कुशवाहा जखन पेपर मिल केर निरीक्षण केलन्हि तेँ उम्मीद जागल की पेपर मिल शुरू होयत, मुदा ओहिक बाद मामला फे सँ ठंढा बस्ता मे पड़ल अछि।


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