मुम्बई। 10 सितंबर। व्यापक सक्रियताक आवश्यकता अति प्रयोजनीय अछि । "वर-वधू परिचय सम्मेलन" केर गुंज-अभिगुंज सर्वत्र निनादित भs रहल अछि । जिज्ञासाक संग-संग सक्रियता, उत्साह एवं जनमानस कें एकठाम एकत्रित करबाक ऊर्जा कें समायोजित करब अनिवार्य अछि । मुख्यत: सम्मेलनक सफलताक अहम् दायित्व मुंबई प्रवासी मैथिल समाजक थिकैन्ह । समवेत सहभागिता सँ सम्मेलनक सफलता इतिहास सृजिन करत । शनै:-शनै: समय लगचियाल जा रहल अछि । जत्र-तत्र-सर्वत जमल मैथिल सुधिवृन्द उत्साहित होइत आगू आबैथ एवं संकल्पित भs प्रायोजित महायज्ञ कें सफलीभूत बनेबा मे योगदान सुनिश्चित करैथ ।
शास्त्र-पुराण मे वर्णित मधुरतम् जीवनक विषय मे स्पष्टत:जानकारी निर्देशित अछि जे जन्म सँ लऽ कऽ मृत्यु पर्यन्त, जीवन मे 16 गोट संस्कारक उल्लेख भेटैत अछि, जाहि मे "विवाह संस्कार" सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार मे सँ एक अछि ।
जतय वर्तमान समयावधि मे एहि संस्कार सभहक नाम तक बिसरल जा चुकल अछि, ओतय विवाह संस्कार नञि केवल अपन अस्तित्व बचौने अछि, अपितु विधिवत् शास्त्रसम्मत विधान द्वारा सम्पन्न होइत आबि रहल अछि ।
आ, से होऊक किएक नञि, "विवाहे" ओ संस्कार थिक जे आन जीव सँ पृथक करैत मनुष्य के परिवार सँ, परिवार के समाज सँ जोड़ैत आबि रहल अछि । फलस्वरूप समाज सँ संस्कृति वा सभ्यता के सृजन होइत अछि । एक मैथिल के तौर पर हऽम सब अपन मिथिलाक सभ्यता-संस्कृति पर बहुत बेशी गर्व करैत आबि रहल छी । एहि गर्वक एक आधार मिथिलाक विवाह पद्धति सेहो अछि । वैदिक विधि-व्यवहार कें अतिरिक्त "सौराठ सभा" आ "पंजी व्यवस्था" मिथिलाक विवाह कें विशिष्टताक संग-संग सर्वोच्चता प्रदान कयने अछि । मैथिलक तीक्ष्ण बुद्धि आ बौद्धिक कौशलताक एक कारण संभवतः विशुद्ध वैवाहिक पद्धति सेहो रहल हयत ।
चूंकि समाज मे नीक आ बेजाय, दुनू प्रकारक व्यक्ति होइत छथि, तैं संस्कृतिक पाछां-पाछां अपसंस्कृति सेहो विकसित भेल जाइत अछि । "सौराठ-सभा" आ "पंजी-व्यवस्था" एकर अपवाद नञि भऽ सकैत अछि ।
तखन परिवर्तन सेहो स्वतः एक शाश्वत नियम अछि । परञ्च जखन एहि प्रकारक परिवर्तन संरचनात्मक होइत छैक तखन एहि बातक अनुभूति कयल जेबाक चाही जे परिवर्तनक माधुर्यता समाजक लेल, संस्कृतिक लेल कल्याणकारी होइत छैक ।
"मैथिल समन्वय समिति" द्वारा आह्वानित मैथिल "वर-वधू परिचय सम्मेलन" एहि प्रकारक कल्याणकारी परिवर्तन अछि । संभवतः आधुनिक सभा अछि । एहि हेतु विनमपूर्वक निवेदन अछि जे आगामी 23 अक्टूबर, 2016 कें आयोजित सम्मेलन मे बेशी सँ बेशी "वर-वधू" केर सहभागिता सुनिश्चित करबेबाक विनम्र प्रयास करी । एहि सम्मेलन मे सहभागिता हेतु पंजीकृत करबेबाक दिशा-निर्देश निम्नलिखित अछि :
1) www.matrimony.maithil.org
2) matrimony@maithil.org
3) टोलफ्री नं. 1800 120 2714
शीध्र पंजीकृत कराबी जाहि सँ समाज लाभान्वित भऽ सकय ।
शास्त्र-पुराण मे वर्णित मधुरतम् जीवनक विषय मे स्पष्टत:जानकारी निर्देशित अछि जे जन्म सँ लऽ कऽ मृत्यु पर्यन्त, जीवन मे 16 गोट संस्कारक उल्लेख भेटैत अछि, जाहि मे "विवाह संस्कार" सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार मे सँ एक अछि ।
जतय वर्तमान समयावधि मे एहि संस्कार सभहक नाम तक बिसरल जा चुकल अछि, ओतय विवाह संस्कार नञि केवल अपन अस्तित्व बचौने अछि, अपितु विधिवत् शास्त्रसम्मत विधान द्वारा सम्पन्न होइत आबि रहल अछि ।
आ, से होऊक किएक नञि, "विवाहे" ओ संस्कार थिक जे आन जीव सँ पृथक करैत मनुष्य के परिवार सँ, परिवार के समाज सँ जोड़ैत आबि रहल अछि । फलस्वरूप समाज सँ संस्कृति वा सभ्यता के सृजन होइत अछि । एक मैथिल के तौर पर हऽम सब अपन मिथिलाक सभ्यता-संस्कृति पर बहुत बेशी गर्व करैत आबि रहल छी । एहि गर्वक एक आधार मिथिलाक विवाह पद्धति सेहो अछि । वैदिक विधि-व्यवहार कें अतिरिक्त "सौराठ सभा" आ "पंजी व्यवस्था" मिथिलाक विवाह कें विशिष्टताक संग-संग सर्वोच्चता प्रदान कयने अछि । मैथिलक तीक्ष्ण बुद्धि आ बौद्धिक कौशलताक एक कारण संभवतः विशुद्ध वैवाहिक पद्धति सेहो रहल हयत ।
चूंकि समाज मे नीक आ बेजाय, दुनू प्रकारक व्यक्ति होइत छथि, तैं संस्कृतिक पाछां-पाछां अपसंस्कृति सेहो विकसित भेल जाइत अछि । "सौराठ-सभा" आ "पंजी-व्यवस्था" एकर अपवाद नञि भऽ सकैत अछि ।
तखन परिवर्तन सेहो स्वतः एक शाश्वत नियम अछि । परञ्च जखन एहि प्रकारक परिवर्तन संरचनात्मक होइत छैक तखन एहि बातक अनुभूति कयल जेबाक चाही जे परिवर्तनक माधुर्यता समाजक लेल, संस्कृतिक लेल कल्याणकारी होइत छैक ।
"मैथिल समन्वय समिति" द्वारा आह्वानित मैथिल "वर-वधू परिचय सम्मेलन" एहि प्रकारक कल्याणकारी परिवर्तन अछि । संभवतः आधुनिक सभा अछि । एहि हेतु विनमपूर्वक निवेदन अछि जे आगामी 23 अक्टूबर, 2016 कें आयोजित सम्मेलन मे बेशी सँ बेशी "वर-वधू" केर सहभागिता सुनिश्चित करबेबाक विनम्र प्रयास करी । एहि सम्मेलन मे सहभागिता हेतु पंजीकृत करबेबाक दिशा-निर्देश निम्नलिखित अछि :
1) www.matrimony.maithil.org
2) matrimony@maithil.org
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