कसरौर, दरभंगा स्थित 'माँ ज्वालामुखी आ 'संत शम्भू बाबा'क महिमायुक्त भजन सुनि हमसभ गौरवान्वित अनुभव कऽ रहल छी। हुनके महिमासँ हम सपत्नी हुनक मायक श्राद्धक भंडाराक भोजमे पूर्णियाँसँ जाकऽ सम्मिलित होयबाक सौभाग्य प्राप्ति कऽ चुकल छी।
हम अपन मित्रवर कसरौरक बगलकेर गनौन गाम बासी श्री जटाशंकर झा सपरिवारक संग ओतऽ पहुँचि पहिने ज्वालामुखी भगवतीक पूजा-अर्चना कऽ शम्भू बाबाक दर्शन करऽलेल हुनक कुटिया गेलहुँ जकर बगलेमे हुनक मायक श्राद्धक भंडाराक छठम् मास चलैत छलनि, हमसभ मात्र बाबाक दर्शन करऽ चाहैत छलहुँ आ दू-चारि मुट्ठी प्रसाद लऽ हुनक अति साधारण घरक आगूमे सैकड़ो लोकक मध्यमे ठाढ़ भेले छलहुँ कि यज्ञक प्रमुख लऽग आबि हमरे पुछैत छथि कि एतऽ पूर्णियाँक परिवार के आयल छी?
हम कहलियनि जे हमहि सपरिवार आयल छी, तखन ओ हाथ जोड़ि निवेदन केलनि जे बाबाक इच्छा आ हमर अनुरोध जे अपनेलोकनि पहिने भोजन करू तखनहि बाबा अहाँक संग दोसरोकेँ दर्शन देथिन। हमसभ चकित भऽ कहलियनि जे "क्षमा कयल जाउ, हमरासभकेँ हुनक दर्शन चाही, भोजन नहि, कियैकि हमरासभकेँ हुनक दर्शन कऽ 'बाबा कुशेश्वरनाथ'क पूजा करबाक अछि, ताहिलेल भोजन कऽ लेब तखन महादेवक पूजा अर्चना कोना करब यौ? "
तखन ओ कहलनि -"हँ, शम्भू बाबा इहो कहने छथि जे ओसभ एतऽ भोजन करताह तखनहि हुनका बाबा कुशेश्वरनाथक दर्शन हेतनि, अन्यथा नहि।"
हमसभ बिवस भऽ हुनक संग भोजन करऽ बिदा भेभेलहुँ कि हमरासभक संग आओर किछु लोक बिन कहने पाछू लागि गेल आ सभकेँ भव्य स्वागत आ सुभोजन भेल, तखन हमसभ आयोजक लोकनिकेँ धन्यवाद दैत जखनहि बाबा घरक आगू पहुँचले छलहुँ कि बाबा सद्यः प्रगट भऽ सभक अभिवादन स्वीकार कऽ हाथ उठा आशीर्वाद देमऽ लगलखिन ओ ककरो चरण-स्पर्श नहि करऽ दैत छलखिन। हमहुँसभ पैघ लाइनमे क्रमानुसार आगू बढ़ैत छलहुँ कि बाबा हमरा संबोधित करैत कहलनि -
" नमस्कार! की पूर्णियाँसँ आबऽमे बेसी कष्ट नहि ने भेल यौ?" हम मुड़ी डोला कहलियनि -"नहि-नहि,कोनो कष्ट नहि भेल "
बाबा आशीर्वाद दैत कहलनि --" आब अहाँ जाउ, अहाँक ग्रहयोगसँ पुनर्जन्म भेल अछि, आब अहाँक सभ कष्ट खंडित भऽ गेल आ कोनो कष्ट नहि रहत। हे, बाबा कुशेश्वरनाथक दर्शन अवश्य कऽ लेब ओ अहाँक प्रतीक्षामे छथि, नीकजकाँ ओ अहाँक पूजा स्वीकार करताह - नमस्कार! "
एतबऽ कहि दोसर दिस मुखातिब भऽ गेलाह। की कहू हमसभ आइ धरि हुनक रहस्य नहि बुझि सकलहुँ जे कोना बुझि गेलखिन जे हम पूर्णियाँसँ आयल छी आ सरिपहुँ किछु मास पूर्व मस्तिष्कक नस फाटि (ब्रेनहेमरेज) गेल छल आ पूर्णियाँसँ सिल्लीगुड़ी आ ओतऽसँ एयर एम्बुलेंससँ मुम्बईक 'हिन्दुजा हाॅस्पिटल'मे भर्ती भेल छलहुँ, जतऽ विश्व स्तरीय न्यूरो सर्जन डाॅक्टर बी के मिश्रा हमर ब्रेनक आॅपरेशन केलनि आ 50 दिन धरि मुर्दा रहि पुनर्जन्म प्राप्ति कयने छलहुँ।
ओहिठामसँ बिदा भऽ जखन कुशेश्वरनाथक मठ लऽग गेलहुँ कि दूरसँ दर्शनार्थीक बड़का लाइन देखि मोनमे भेल कि आब एतऽ महादेवक नीकसँ पूजन भऽ सकत कि नहि, मुदा प्रसाद-चढ़उवा कीनि जखनहि शिवालयक लऽग गेलहुँ तावत् पूरा भीड़ छँटि गेल छलै आ दू टा पंडाजी जना हमरेसभक प्रतीक्षामे आवाहन कऽ हमरा लोकनिकेँ भीतर लऽ गेलाह आ हमसभ हुनक नीकजकाँ पूजा-अर्चना कऽ शिव-पार्वतीकेँ 'पाग-बन्धन' करा पंडाजी केँ यथाशक्ति दक्षिणा दऽ सहर्ष बिदा भेलहुँ ।
आब संक्षेपमे 'शम्भू बाबा'क कथा कहैत छी --
ओ एक अति गरीब विधवा-ब्राह्मणीक एकमात्र संतान छलाह, दुर्योगसँ हुनका केंसर भऽ गेलनि जे एखनहु प्रायः लाइलाज रोग छै। हुनक बुढ़िया माए यथाशक्ति आ दोसरोसँ सहायता लऽ बहुत इलाज करोलनि, मुदा अन्तमे डाॅक्टर हुनका जबाव दऽ कहलकनि जे आब ई नहि बचत, एकरा आब घऽरे लऽ जाउ आ घऽरो पहुँचि सकत कि नहि एकरोमे हमरा संदेह अछि। बुढ़िया माए निराश भऽ ओहि बेटाकेँ ओहि ठामक ज्वालामुखी भगवतीक मन्दिरमे हुनके सौंपि कहलनि --"ले गै भगवती, हम अपन एहि बेटाकेँ तोरे सौंपि रहल छियौ। आब एखनसँ ई हमर नहि तोरे बेटा छियौ, तों एकरा मारही वा जिआबी, ई तोहर मोन ।"
भोरमे जखन मन्दिरक पुजेगरी भगवतीक पट खोललनि तँ भीतरमे एहि बालककेँ मृतप्राय देखलनि। जखन ओहि बालकक माए घर नहि लऽ गेलि तखन ओ दिनमे पूजा-अर्चना कऽ रातिमे हुनका ओहि मन्दिरमे बन्न कऽ दैत छलनि। दू-चारि दिनक बाद हुनक देहसँ कतहु-कतहु घाओ बनि गेलनि आ ओहिसँ शोणित चूबैत छलनि आ ई क्रम किछु दिन चललै कि क्रमानुसार ओ ठीक होमऽ लगलाह आ कालान्तरमे ओ पूर्ण स्वस्थ भऽ गेलाह आ दिन-राति ओ ज्वालामुखी भगवतीक पूजा-अर्चनामे रहऽ लगलाह आ बीच-बीचमे अपन जन्मदातृ माएक सेहो सेवा करैत रहलाह।
समयान्तरमे परुकाँ हुनक मायक निधन भेलनि तँ ओ धनविहीन रहितहु मायक एतेक नीक श्राद्ध कयलनि जे सभकेँ एखनहुँ असंभव बुझना जाइछ, संगहि श्राद्धक भंडाराक एखनधरि चलि रहल छनि, जकरामे इलाकाक लोकक अतिरिक्त लाखो लोकक भोजन भेल अछि आ एतेक खर्च कतऽसँ अबैछ ई रहस्य कियो नहि बुझि पबैछ।ट्रकक ट्रक सामान अबैत देखि कियो जदि ट्रकबलाकेँ पूछैत छल कि एहि सामानक पाइ के देलनि तखन ओ कहनि जे इएह बाबा तँ कीनऽबेरमे छलाह, आ हमसभ कहियनि जे -" बाबा, एहि गाड़ी पर चलू ने। " तखन ई कहैत छलाह -"अहाँसभ बढ़ू, हम आबि जायब " आ हिनका एतऽ देखैत छियनि,पता नहि ई कोन गाड़ीसँ वा कोना हमरासँ पहिने पहुँचि जाइत छथि "।
हम एहि रहस्यकेँ एना बुझैत छी जे ज्वालामुखी भगवतीक सेवा करैत-करैत हिनका भगवती 'अष्ट- सिद्धि, नवनिधि' दऽ देने छनि जे हुनक दृढ़ भक्तलेल कोनो असंभव नहि। अस्तु, एकबेर प्रेमसँ बाजी -"शम्भू बाबाकेर जय! ज्वालामुखी भगवतीकेर जय!"
-बाबाबैद्यनाथ झा, पूर्णियाँ
हम अपन मित्रवर कसरौरक बगलकेर गनौन गाम बासी श्री जटाशंकर झा सपरिवारक संग ओतऽ पहुँचि पहिने ज्वालामुखी भगवतीक पूजा-अर्चना कऽ शम्भू बाबाक दर्शन करऽलेल हुनक कुटिया गेलहुँ जकर बगलेमे हुनक मायक श्राद्धक भंडाराक छठम् मास चलैत छलनि, हमसभ मात्र बाबाक दर्शन करऽ चाहैत छलहुँ आ दू-चारि मुट्ठी प्रसाद लऽ हुनक अति साधारण घरक आगूमे सैकड़ो लोकक मध्यमे ठाढ़ भेले छलहुँ कि यज्ञक प्रमुख लऽग आबि हमरे पुछैत छथि कि एतऽ पूर्णियाँक परिवार के आयल छी?
हम कहलियनि जे हमहि सपरिवार आयल छी, तखन ओ हाथ जोड़ि निवेदन केलनि जे बाबाक इच्छा आ हमर अनुरोध जे अपनेलोकनि पहिने भोजन करू तखनहि बाबा अहाँक संग दोसरोकेँ दर्शन देथिन। हमसभ चकित भऽ कहलियनि जे "क्षमा कयल जाउ, हमरासभकेँ हुनक दर्शन चाही, भोजन नहि, कियैकि हमरासभकेँ हुनक दर्शन कऽ 'बाबा कुशेश्वरनाथ'क पूजा करबाक अछि, ताहिलेल भोजन कऽ लेब तखन महादेवक पूजा अर्चना कोना करब यौ? "
तखन ओ कहलनि -"हँ, शम्भू बाबा इहो कहने छथि जे ओसभ एतऽ भोजन करताह तखनहि हुनका बाबा कुशेश्वरनाथक दर्शन हेतनि, अन्यथा नहि।"
हमसभ बिवस भऽ हुनक संग भोजन करऽ बिदा भेभेलहुँ कि हमरासभक संग आओर किछु लोक बिन कहने पाछू लागि गेल आ सभकेँ भव्य स्वागत आ सुभोजन भेल, तखन हमसभ आयोजक लोकनिकेँ धन्यवाद दैत जखनहि बाबा घरक आगू पहुँचले छलहुँ कि बाबा सद्यः प्रगट भऽ सभक अभिवादन स्वीकार कऽ हाथ उठा आशीर्वाद देमऽ लगलखिन ओ ककरो चरण-स्पर्श नहि करऽ दैत छलखिन। हमहुँसभ पैघ लाइनमे क्रमानुसार आगू बढ़ैत छलहुँ कि बाबा हमरा संबोधित करैत कहलनि -
" नमस्कार! की पूर्णियाँसँ आबऽमे बेसी कष्ट नहि ने भेल यौ?" हम मुड़ी डोला कहलियनि -"नहि-नहि,कोनो कष्ट नहि भेल "
बाबा आशीर्वाद दैत कहलनि --" आब अहाँ जाउ, अहाँक ग्रहयोगसँ पुनर्जन्म भेल अछि, आब अहाँक सभ कष्ट खंडित भऽ गेल आ कोनो कष्ट नहि रहत। हे, बाबा कुशेश्वरनाथक दर्शन अवश्य कऽ लेब ओ अहाँक प्रतीक्षामे छथि, नीकजकाँ ओ अहाँक पूजा स्वीकार करताह - नमस्कार! "
एतबऽ कहि दोसर दिस मुखातिब भऽ गेलाह। की कहू हमसभ आइ धरि हुनक रहस्य नहि बुझि सकलहुँ जे कोना बुझि गेलखिन जे हम पूर्णियाँसँ आयल छी आ सरिपहुँ किछु मास पूर्व मस्तिष्कक नस फाटि (ब्रेनहेमरेज) गेल छल आ पूर्णियाँसँ सिल्लीगुड़ी आ ओतऽसँ एयर एम्बुलेंससँ मुम्बईक 'हिन्दुजा हाॅस्पिटल'मे भर्ती भेल छलहुँ, जतऽ विश्व स्तरीय न्यूरो सर्जन डाॅक्टर बी के मिश्रा हमर ब्रेनक आॅपरेशन केलनि आ 50 दिन धरि मुर्दा रहि पुनर्जन्म प्राप्ति कयने छलहुँ।
ओहिठामसँ बिदा भऽ जखन कुशेश्वरनाथक मठ लऽग गेलहुँ कि दूरसँ दर्शनार्थीक बड़का लाइन देखि मोनमे भेल कि आब एतऽ महादेवक नीकसँ पूजन भऽ सकत कि नहि, मुदा प्रसाद-चढ़उवा कीनि जखनहि शिवालयक लऽग गेलहुँ तावत् पूरा भीड़ छँटि गेल छलै आ दू टा पंडाजी जना हमरेसभक प्रतीक्षामे आवाहन कऽ हमरा लोकनिकेँ भीतर लऽ गेलाह आ हमसभ हुनक नीकजकाँ पूजा-अर्चना कऽ शिव-पार्वतीकेँ 'पाग-बन्धन' करा पंडाजी केँ यथाशक्ति दक्षिणा दऽ सहर्ष बिदा भेलहुँ ।
आब संक्षेपमे 'शम्भू बाबा'क कथा कहैत छी --
ओ एक अति गरीब विधवा-ब्राह्मणीक एकमात्र संतान छलाह, दुर्योगसँ हुनका केंसर भऽ गेलनि जे एखनहु प्रायः लाइलाज रोग छै। हुनक बुढ़िया माए यथाशक्ति आ दोसरोसँ सहायता लऽ बहुत इलाज करोलनि, मुदा अन्तमे डाॅक्टर हुनका जबाव दऽ कहलकनि जे आब ई नहि बचत, एकरा आब घऽरे लऽ जाउ आ घऽरो पहुँचि सकत कि नहि एकरोमे हमरा संदेह अछि। बुढ़िया माए निराश भऽ ओहि बेटाकेँ ओहि ठामक ज्वालामुखी भगवतीक मन्दिरमे हुनके सौंपि कहलनि --"ले गै भगवती, हम अपन एहि बेटाकेँ तोरे सौंपि रहल छियौ। आब एखनसँ ई हमर नहि तोरे बेटा छियौ, तों एकरा मारही वा जिआबी, ई तोहर मोन ।"
भोरमे जखन मन्दिरक पुजेगरी भगवतीक पट खोललनि तँ भीतरमे एहि बालककेँ मृतप्राय देखलनि। जखन ओहि बालकक माए घर नहि लऽ गेलि तखन ओ दिनमे पूजा-अर्चना कऽ रातिमे हुनका ओहि मन्दिरमे बन्न कऽ दैत छलनि। दू-चारि दिनक बाद हुनक देहसँ कतहु-कतहु घाओ बनि गेलनि आ ओहिसँ शोणित चूबैत छलनि आ ई क्रम किछु दिन चललै कि क्रमानुसार ओ ठीक होमऽ लगलाह आ कालान्तरमे ओ पूर्ण स्वस्थ भऽ गेलाह आ दिन-राति ओ ज्वालामुखी भगवतीक पूजा-अर्चनामे रहऽ लगलाह आ बीच-बीचमे अपन जन्मदातृ माएक सेहो सेवा करैत रहलाह।
समयान्तरमे परुकाँ हुनक मायक निधन भेलनि तँ ओ धनविहीन रहितहु मायक एतेक नीक श्राद्ध कयलनि जे सभकेँ एखनहुँ असंभव बुझना जाइछ, संगहि श्राद्धक भंडाराक एखनधरि चलि रहल छनि, जकरामे इलाकाक लोकक अतिरिक्त लाखो लोकक भोजन भेल अछि आ एतेक खर्च कतऽसँ अबैछ ई रहस्य कियो नहि बुझि पबैछ।ट्रकक ट्रक सामान अबैत देखि कियो जदि ट्रकबलाकेँ पूछैत छल कि एहि सामानक पाइ के देलनि तखन ओ कहनि जे इएह बाबा तँ कीनऽबेरमे छलाह, आ हमसभ कहियनि जे -" बाबा, एहि गाड़ी पर चलू ने। " तखन ई कहैत छलाह -"अहाँसभ बढ़ू, हम आबि जायब " आ हिनका एतऽ देखैत छियनि,पता नहि ई कोन गाड़ीसँ वा कोना हमरासँ पहिने पहुँचि जाइत छथि "।
हम एहि रहस्यकेँ एना बुझैत छी जे ज्वालामुखी भगवतीक सेवा करैत-करैत हिनका भगवती 'अष्ट- सिद्धि, नवनिधि' दऽ देने छनि जे हुनक दृढ़ भक्तलेल कोनो असंभव नहि। अस्तु, एकबेर प्रेमसँ बाजी -"शम्भू बाबाकेर जय! ज्वालामुखी भगवतीकेर जय!"
-बाबाबैद्यनाथ झा, पूर्णियाँ
0 टिप्पणियाँ
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।