शशिया गोहाड़ि (बिहनि कथा) - वी०सी०झा"बमबम"

चारु कात लोकक करमान ( भीड़ ) लागल छलहि इस्कुलक मैदान मे !

हम ~ लोक सब संऽ पूछलिएहि कि होइत छैइक ओतय यउ एतेक भीड़ किआक लागल छैइक ?

~ एह नहि बुझलिएहि शशिया गोहाड़ि होइत छैइक !

~ कि होइत छैइक इ शशिया गोहाड़ि ?

~ खतबे जातिक एक विशेष प्रकारक पूजा थिकहि ! ओना हमरा से जे पूछैत छी से जा'क देख ने होइत अछि !

चारु कातक गोलाकार भीड़क बीच मे हुलि कऽ देखैत छी ! एकटा माटिक पीढ़ी बनायल ओहि पर किछु फूल पान सूपारी अक्षत राखल ! चारि पाँच गोटे भाउ खेलाइत छलहि जेना पागल सब करैत रहैत छैइक तहिना !
लाठी बला :- हऽ लेह मूठ्ठी मूनने हमरा दिस बढ़ेलक हम हरबरेलहु मुदा लोक सब कहलक अहाँक भाग बुझू ! आहिरे भाग मे चाउर आ पान छल ! पान झट द खा लेलहु आ अक्षत ओतहि नीचा मऽ - - - -

एकटा जनानी :- देखियो तऽ कनियाँ कऽ झाँहि उठय छहि !

एकटा एलहि लाठी सऽ डॉड़ि झिक देलकहि आ ठार कऽ दोसर ओकरा पर बभूत सगर देह पर छिट देलकहि एकटा ढ़कना मे आगि ओकर चारु कात घूमा देलकहि कहलकहि जोह ठीक भऽ गेलहु ! एकटा गुआर महींस ल'क एलहि इ महींस तीन वरख संऽ - - - ओकरो ओनहिए !

जे अबय सब' क कि कहाँ कहि दैइत छलहि आ लोक संतुष्ट भऽ जाइत छलहि ! हमरा घोर आश्चर्य भ रहल छल

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