वैद्यनाथ धामक श्रावणी मेला द्वादश ज्योतिर्लिंग में बाबा वैद्यनाथ देवघर में अवस्थित अति पावन धाम,लंकापति रावण महादेवक भक्त हिनक घोर तप सौं कैलाशपति महादेव अति प्रसन्न भय वर मांगक लेल कहला त रावण भगवान महादेव सौं कैलाश छोड़ि लंका में बासक लेल आग्रह केलथि, सबलेल समान दृष्टि रखैवला औढरदानी तथास्तु कहि रावण सौं कहला आहाँ हमरा उठाके लय चलु किन्तु कतौह राखब नै जतैह हमरा निचा में राखब हम ओतहि बसि जायब,अभिमानी रावण मानिगेल आ महादेवजी के लय विदा भेला,समस्त श्रृष्टि में हाहाकार मचि गेल,बहुत दूर एलाक बाद दैववश रावण के असहनीय लघुशंका लागल आ ओ विकल भय चहुँदिस तकला त एकटा बटोही के अबैत देखि हुनका सौं कनिकाल महादेव के राखक लेल आग्रह केला,बटोहिक वेश में भगवान जल्दी करब कहि महादेव के राखि लेलथि किन्तु दैववश रावणक लघुशंका अनंत भेल जाई जे बाद में रवणा धारक नाम सौं प्रसिद्ध भेल,बटोही रावण के भारी लगैये कहि महादेव के ओहिठाम स्थापित कय देलाह आ चलि गेला,लघुशंका कय रावण जखन हुनका फेर उठबे लगला त देवों के देव महादेव टस से मस नहिं भेला त वापस लंका चलि गेला आ हुनक बलजोरी उखाड़क प्रभाव सौं शिवलिंग ऐककात कनि धंसि गेलाह,वेह शिवलिंग वैद्यनाथ शिवलिंग छथि आ औढरदानी ओहिठाम निवास करे लगलाह वेह छी अपन देवघर बाबाक दरबार,हिनक दरबार में जे भक्त सत्य मन सौं जे मंगलक पुरा होईत छैक कतेको लोक हुनक प्रभाव सौं पुत्रवान धनवान भेलाह,खासकय असाध्य रोग सौं पीडीत व्यक्ति जौं ओतय पहुंचि रोग निवारणार्थ सत मन सौं प्रर्थना केलथि त कालक्रमेन निरोग भय जाई छथि किएक त वैद्यक नाथ छथि बाबा वैद्यनाथ।।
"भोला बाबा पर सुरत धरे बोलबम" ओना त देवघर में सदा कांवरियाक भीड़ लागल रहैत अछि खासकय मैथिल कांवरियाक, किन्तु श्रावणी मेला जे एकमास धरि चलैये भारी भीड़ आ नाचगान ढोल मृदंगक थाप पर नचैत गवैत मैथिल कांवरिया देखैते बनैये,अहिबेर 20 जुलाई सौं 18 अगस्त धरि श्रावणी मेला लागत।। जय बाबा वैद्यनाथ।।
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