घिनायल बाट (कविता) - वी०सी०झा"बमबम"


वर्खा'क बून्न खसनाय शूरु कि भेलय !
आ एमहर बाट सब सेहो खूब घिनेलय !!

कतबहु चलबहु ने सरकार स्वक्षता अभियान !
ताहि सँऽ कि लोक'क आदति बदलि गेलय !!

ओना लोको सब मजबूरी मे कि करतहि ?
खेत - पथार गाछी-विर्छी पानि संऽ भरलहि !!

हँ सरकारी शौचालय कतेको ठाम बनाओल गेलय !
परंच ओकर सीट तऽ टूटि कऽ हॉदे मऽ चलि गेलय !!

नेना-भूटका सबहक कोन कथा दिने मे बैसत कतार लगा !
सियनका सब तऽ "बमबम" तरगरे बाट दिस संऽ भ एलय !!


     वी०सी०झा"बमबम"
                                     कैथिनियाँ

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ