सुनू मिथिलाकेँ
गुणगान अहाँ,
हम की कहु अपन मोनेंसँ
सभ
किछु तँ अहाँ जनिते छी मुदा, हम कहैत छी ओरेसँ
उदितमान
ई अछि अती प्राचीन, ज्ञानक
अती भंडार अछि
ऋषि-मुनिकेँ
पावन धरती, महिमा एकर अपार अछि
ड्यौढ़ी-ड्यौढ़ी
फूलबारी,
आँगनमे तुलसी सोभति
कोसी-कमला
मध्य बसल ई, भारतकेँ
सुंदर मोती
भक्ती-रससँ
कण-कण डूबल,
अछि महिमा एकर अपार
शिव जतए
एला चाकर बनि कए, सुनि भक्तकेँ करुण
पुकार
काली
विष्णु पूजल जाइ छथि, मिथिलाक एके आँगनमे
छैक कतौ
आन ई सामर्थ कहु, होई जे
आँखिक देखनेमे
एहि
धरतीसँ जानकी जनमली,
श्रृश्टीक करै लेल कल्याण
श्रीराम
संग ब्याहल गेली, पतिवर्ताक
देलैन उदाहरण महान
आजुक-काइल्हुक
गप्प जुनि पुछू, भ्रस्ट
बनल अछि दुनियाँ
मुदा
मिथिलामे एखनो देखूँ, शुरक्षित
घरमे छथि कनियाँ
माए-बापकेँ
आदर दए छथि, एखनो धरि
मिथिले बासी
पूज्य
मानि पूजा करैत छथि, घर आबए जे कियो सन्यासी
आजुक
युगमे धर्म बचल अछि, जे किछु एखनों
मिथिलेमे
आँखिक
पानि बचल अछि देखू, जे किछु एखनों मिथिलेमे
की
कहु आब मिथिलाक महिमा, समेएल
जाए नहि लेखनीमे
हमरामे ओ
सामर्थ नहि अछि, बाँधि सकी जे पाँतिमे
जगदानन्द
झा ‘मनु’
ग्राम
पोस्ट - हरिपुर डीहटोल, मधुबनी
वाह ! पइढ मोन प्रशनय भेल
जवाब देंहटाएंवाह ! पइढ मोन प्रशनय भेल
जवाब देंहटाएंअपनेक सादर धन्यवाद ! मीणाजी
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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