अकक्ष भेल छी।
(एकटा हास्य कथा)
आई दस वर्षक बाद किछु काज स दरभंगा आएल रही। भींसरे भींसरे टेन स दरभंगा स्टेशन उतरले रही कि ने की फुराएल टहलैत टहलैत विश्वविद्यालय कैंपस आबि गेलहुँ। ओतए आबिते मातर सभटा पुरना संस्मरण कॉलेजक पढ़ाई विद्यार्थी जीवनक सभटा हँसी ठीठोला श्यामा माए मंदिर के चक्कर लगाएब जस के तस मोन परि गेल। ओई दिन सोमवार रहै तहू मे सावन महीनाक सोमवारी भक्त लोकनिक भिड़ भिंसरे स बढ़ि गेल रहै की कॉलेज के विद्यार्थी धीया-पूता जवान बुढ़ पुरान सभ पूजा करै लेल अपसियाँत भेल। विशेष कऽ माधवेश्वरनाथ महादेव मंदिर मे और बेसी भीड़। श्यामा माए मंदिर लग पोखरि अछि ओतए माधवेश्वर महादेवक मंदिर सेहो छैक। ओही ठाम श्यामा माए के दर्शन कए बाबाक पूजा लेल महादेव मंदिर अएलहुँ। बाबा के जल बेलपात चढ़ा पूजा केलाक बाद मंदिर स बाहर निकैल बैग पीठ पर लए बिदा भेल रही। कैमरा गारा मे लटकले रहए बिदा होइते रही की पोखरी घाट लक बाबा भेंट भए गेलाह। ओ बजलाह हौ बच्चा के छियह कारीगर एम्हर आब। बाबाक लग मे जा हुनका प्रणाम केलियैन त ओ बजलाह नीके रहअ। अईं हौ कारीगर इ कहअ दारही कटा लेबह से नहि अहि दुआरे त चिन्हैअ में धोखा भए गेल। गारा मे कैमरा लटकल देखलिय त मोन परल जे कहीं तू दरभंगा आएल हेबह। आब ज तूं दरभंगा आबिए गेल छह त हमर पंचैती कए दैए हौ बच्चा कि कहियअ हम त अकऽक्ष भेल छी।
बाबाक गप सुनी हमरा हँसी स रहल नही गेल। हँसैत हँसैत हम बजलहुँ अइ यौ बाबा अहाँ किएक अकऽक्ष भेल छी आ कथिक पंचैयती। बाबा तामसे अघोर भेल बजलाह अईं हौ कारीगर हम अकऽक्ष भेल छी आ तू दाँत चिआरै मे लागल छह। हम बजलहु यौ बाबा अहाँ जुनि खिसियाउ एकटा गप कहू त अहू सन औधरदानी महादेव ज अकऽक्ष भेल अछि त हमरा सभहक केहेन हाल हेतै। बाबा अपने त सौंसे दुनियाक पंचैयती करैत छी हम एकटा छोट छीन भक्त अहाँक पंचैती कोना करब। बाबा फेर बजलाह हौ बच्चा अप्पन सप्पत कहैत छियैह सत्ते मे हम बड्ड अकऽक्ष भेल छी। हम बजलहुँ यौ बाबा अकऽक्ष त हम मीडियावला सभ भेल छी ख़बर लिखैत आ संपादित करैत, एक चैनल के नोकरी छोरि दोसर चैनल के नाकरी पकड़ैत, मीर्च मसल्ला वला ख़बर बनबैत सुनबैत, चैनल मालिक के दवाब रूआब सहैत, बौक जेंका चुपचाप अकऽक्ष भेल छी।
हमर गप सुनि बाबा बजलाह आब हमरो गप सुनबहक की अपने टा कहबहक। हम बजलहुँ नहि यौ बाबा इहेए बात त पुछै लेए छलहुँ जे अहाँ किएक अकऽक्ष भेल छी। बाबा डमरू डूगडूगबैत बजलाह हइए लेए सुनह सबटा राम कहानी जे हम किएक अकऽक्ष भेल छी। हौ बच्चा पहिने एकटा फोटो खीच दैए ने भने चैनलो पर ब्रेकिंग न्यूज़ चला दिहक जे बाबा अकक्ष भेल छथि। लोको त बुझतै ने जे हम केहेन कष्टमय जिनगी जीबि रहल छी। हम बजलहुँ ठीक छैक बाबा अहाँ बजैत जाउ आ हम रेकड केने जाइत छी आ फोटोओ खीच दैत छी मुदा इ कहू जे आई अहाँक त्रिशूल कतए रहि गेल। बाबा अंगोछा स मुँह पुछैत बजलाह हौ कारीगर की कहियअ हौ हम जिबैत जिनगी अकक्ष भेल छी। गणेश कार्तिक दुनू टा खूरलुच्ची हरदम लड़ाई करैत रहैए एकटा कहैत छै जे हम त्रिशूल ल के नाचब त दोसर कहैत छै जे हम डमरू बजा के नाचब। अहि कहा कही मे इ दुनू टा मुक्कम-मुक्की घिच्चा-तिरी क हमर डमरू सेहो फोरि दैत अछि। एकरा दुनू टा दुआरे हम अकक्ष छी। हौ बच्चा ततबेक नही कि कहियअ हौ नहा धोहआ के बघम्बर पसारि दैत छियैक मुदा कार्तिक के मयूर ओकरा ओई गाछ पर स ओई गाछ पर ल जा के लेरहा घोरहा दैत अछि। तै पर स गणेशक मूस ओकरा कूतैर फूतैर दैत अछि। तूही कहअ त बिना बघम्बर के कोना हम रहब कियो देखनिहार नै कोइ ने टहल टिकोरा क दैत अछि हम त तहु दुआरे अकक्ष भेल छी।
तूहीं कहअ ने आबक धीया-पूता के लिखा पढ़ा के कि हेतै। हम बजलहुँ आब की भेल यौ बाबा। हमर गप सुनी ओ बजलाह हौ बच्चा तूं बरि खाने बुझहैत छहक कहलियअ त जे हम अपने घरक लोक स अकक्ष भेल छी। हौ बच्चा तोरा सभटा गप की कहियअ जहिया स गणेश के शिक्षामित्र के नोकरी भेटलै आ कार्तिक के पुल बनबै के सरकारी ठिकेदारी भेटलै दुनू गोटे एक्को बेर घूइरो के ने देखैत अछि जे हम जीबैत छी आ की मूइल। तही दुआरे तूंही कहअ ने एहेन धीया-पूता कोन काजक जे बूढ़ माए बाप के बुरहारी मे मरै लेल गाम मे असगर छोड़ि दैत अछि आ अपने नोकरी मे मगन भेल सभटा आचार-विचार बिसरैत सामाजिक कर्तव्य सँ मुह मोड़ि लैत अछि।
ई गप कहैत-कहैत बाबाक आखि नोरा गेलैन ओ आंखिक नोर पोछि हिंचकैत बजलाह हौ बच्चा आब बुरहारी मे गौरीए दाए टा एकमात्र सहारा। मुदा आब हुनको अवस्था भेलैन ओकरो की दोष। कहैत छियैए जे भांग पीस दियअ त गौरी दाए बजैत छथि आब हमरा भांग पीसल नहि होएत बेसी छौंक लागल अछि त चलि जाउ विश्वविद्यालय कैंपस, शंकरानंद ओइ ठाम भरि छाक भांगक लस्सी पीबि लेब। ओइ ठाम सीएम सांइस आ मारवाड़ी कॉलेज के विद्यार्थी सभ भांग खाई लेल सेहो अबैत छैक। हौ बच्चा हम त तहू दुआरे अकक्ष भेल छी। आब हम एक्को मीनट दरभंगा मे नहि रहब तूं हमरा नेने चलह अपने संगे दिल्ली। हम तोरे साउथ एक्स वला डेरा पर रहब ज जारो बोखार लागत त ओही ठाम एम्स मेडिकल लग्गे मे छै ओतए देखाइओ दिहअ। हम बजलहुँ हं हं बाबा चलू ने इ त हमर सौभाग्य जे अहाँक टहल टिकोरा करबाक हमरा अबसर भेटत।
बाबा बजलाह हौ बच्चा एकटा गप तोरा कहनाइ त बिसैरे गेलियै रूकह कनि, हइए मोन परि गेल। कारीगर सभटा गप तू की सुनबहअ हौ हम की कहियअ ई भागेसर पंडा दुआरे सेहो हम अकक्ष भेल छी। हम हुनका स पुछलियैन से किएक यौ बाबा। त ओ बजलाह हौ कि कहियअ आब महादेव मंदिर मे बोर्ड लगा देलकैयै। हम जिज्ञासावस पुछलहु कथिक बोर्ड यौ बाबा। ओ फेर बजलाह हौ बच्चा श्यामा माए मंदिर में एकटा बोर्ड लागल छैक मुंडन-51रू, यज्ञोपवित-151रू, विबाह-251रू, आ बलिप्रदान-501रू तही के देखा देखी भागेसरो हमरा मंदिर मे एकटा बोर्ड लगा देलकैए जे बाबाक स्पेशल पूजा-501रू, डमरू बजा के पूजा करब-201, दूध चढ़ाएब-151 आ भांगक स्पेशल परसादी-101रू। देखैत छहक जहिया स ई बोर्ड लगलैह तहिया स त हम और बेसी अकक्ष भेल छी।
हम बजलहुँ से किएक यौ बाबा त ओ बजलाह कि कहियअ विद्यार्थी सभ भांगक परसादी दुआरे मंदिरे मे मुक्कम मुक्की, घिच्चम-तिरी, देह हाथ तोरा-फोरी कए लैत अछि। ततबेक नहि पिछुलका सोमवारी दिन त कि कहियअ एकरा सबहक झग्गरदन मे हमर त्रिशूल टुटि गेल हम त आब तहु दुआरे अकक्ष भेल छी। ओ सभ नीक नहाति पढ़तह नहि आ परीक्षा मे फेल भेला पर वा कम नम्बर अएला पर हमरो गरिअबैत अछि। जे हे जरलाहा महादेव केहने बेईमान छह पास करा दैतह से नहि हौ बच्चा हम त आब तहू दुआरे अकक्ष भेल छी।
लेखक:- किशन कारीगर
मिथिला में जाईत पाईत केर भेद भाव कोना के मिटत ताहि पर किछु लिखबाक चाही ।किएक उच्चवर्ग केरि नेना भुटका निम्नवर्गक अपनासँ पैघ व्यकती केरि नाव लअ कअ बजबैत छथि? आथवा निम्नवर्गक नेना भुटका उच्चवर्गकेरि अपना सँ पैघ लोकनि के काका या भाईजी किएक नहि कहै छथि? हमरा हिसाबे अहि कारणे अपना समाज में एकताक अभाव अछि।
जवाब देंहटाएंRam Naresh Sharma
Interior & civil work contractor
mob. 9221074141
Mumbai
Vill. Shankar Lohar, Bithouli,
Baheri, Darbhanga
Aadarniya ram naresh jee ahan ekber hamar kavita "Bnatwara" padhi dekhoo jahi me jati pati hatebak ulekh achhi...
जवाब देंहटाएंhttp://kishankarigar.blogspot.com
एक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।