लागल एहेन रिवाज बिसरलहुँ

अप्पन अप्पन काज बिसरलहुँ
सच पूछू तऽ लाज बिसरलहुँ

सिखलहुँ लूरि जीबय के जतय
कियै ओहेन समाज बिसरलहुँ

छूटल अरिपन, सोहर सब किछु
लागल एहेन रिवाज बिसरलहुँ

सासुर मे छल खूब रईसी
घर मे नखरा-नाज बिसरलहुँ

मन गाबय छल गीत मिलन के
सुर के सँग मे साज बिसरलहुँ

संस्कार के बात करी नित
जीबय के अन्दाज बिसरलहुँ

चुप रहलहुँ अन्याय देखिकय
सुमन हृदय आवाज बिसरलहुँ

Post a Comment

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने