नरहीया भुकैए हमर घराडी पर
बसलौं परदेश में हम खोबाडी पर
दूध-दही पान मखान सब छोरि एलौं
छी पेट पोसने तs दु-टुक सुपारी पर
जे किछ कमेलौं हाथ-पएर तोरि कय
साँझ परैत खर्च भेल छूछे तारी पर
बचेलौं बर्ख भरि पेट काति-काति कय
गमेलौं गाम जए-आबक सबारी पर
छोरु दोसरक आसा अपन बसाऊ यौ
घुरि आउ मनु सोनसन घराडी पर
***जगदानन्द झा 'मनु'
बसलौं परदेश में हम खोबाडी पर
दूध-दही पान मखान सब छोरि एलौं
छी पेट पोसने तs दु-टुक सुपारी पर
जे किछ कमेलौं हाथ-पएर तोरि कय
साँझ परैत खर्च भेल छूछे तारी पर
बचेलौं बर्ख भरि पेट काति-काति कय
गमेलौं गाम जए-आबक सबारी पर
छोरु दोसरक आसा अपन बसाऊ यौ
घुरि आउ मनु सोनसन घराडी पर
***जगदानन्द झा 'मनु'
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