गजल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
प्रिय प्रीतम के आँखि में प्यार के चमक अखनो छैन
मगर हुनका हमर मोहब्त पर सक आइयो छैन
नाँव में बैस क धोने छलैथ हाथ ओ कहियो
सुंदर सागर पोखेर में मेहँदी के गमक आइयो छैन
प्रिय प्रीतम के छु नहीं पैलो प्यार स कहियो
लेकिन हमर होँट पर हुनकर होँट के झलक आइयो छैन
सब बेर पुछै छथि हमर चाहत के सवाल
ओनाहिये प्यार के परखनाय आइयो छैन
नै रैह पौती प्रिय प्रीतम हमरा बिना
दुनू तरप प्यार के धध्क आइयो आछि
प्रिय प्रीतम के आँखि में प्यार के चमक अखनो छैन
मगर हुनका हमर मोहब्त पर सक आइयो छैन
नाँव में बैस क धोने छलैथ हाथ ओ कहियो
सुंदर सागर पोखेर में मेहँदी के गमक आइयो छैन
प्रिय प्रीतम के छु नहीं पैलो प्यार स कहियो
लेकिन हमर होँट पर हुनकर होँट के झलक आइयो छैन
सब बेर पुछै छथि हमर चाहत के सवाल
ओनाहिये प्यार के परखनाय आइयो छैन
नै रैह पौती प्रिय प्रीतम हमरा बिना
दुनू तरप प्यार के धध्क आइयो आछि
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