सपना देख्लौ बड अजगुत - प्रभात राय भट्ट


सपना देख्लौ बड अजगुत..

की कहिय राएत सपना देखलौं बड अजगुत हो भाई ,
हमरा पाछु लागल रहे एकटा बहुरुपिया कसाई,
धमकी देलक गल्ह्थी लगौलक देखौलक चाकू छुरा ,
जान स माएर देबौ,प्राण निकाइलदेबौ,नईतकर हमर माग पूरा ,
गाल हमर लाल कौलक खीच क मारलाक चटा चट चांटा ,
निकाल बाक्स पेटी स फटा फट दू चार लाख टाका,
डर स हम थर थर कापी मोन रहे घबराईल ,
तखने एकटा पहरा करैत प्रहरी हमरा लग चईल आईल ,
मोने मोन हम सोचलौ इ करता हमरा मदत ,
मुदा उहो रहे ओई चंडाल कसाई केर भगत ,
दुनु गोटा कान में कौलक फुस फूस ,
बाईन्ध क हमरा डोरी स घर में गेल घुईस ,
छन में सबटा भेल छनाक घर में परल डाका ,
झट पट जे आईंख खोल लौ ,त की कहिय काका ,
उ सपना नई सचे के बिपना रहे ,
हमर बिपति क एकटा घटना रहे ,

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट, ग्राम: धिरापुर - २, जनकपुरधाम नेपाल

1 टिप्पणियाँ

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  1. प्रभात जी,

    मैथिल आर मिथिला ब्लॉग परिवार में अपनेक स्वागत अछि!

    अपनेक रचनाक कतबो तारीफ करी कम अछि, आशा करे छी अपनेक आर निक - निक रचना ब्लॉग पाठक गन के पढबाक लेल मिलत...

    हमर शुभकामना अछि...

    जवाब देंहटाएं

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