बाल कविता-२ गाछ मे -जीवकांत

गाछ मे पात
पात मे बसात

पात मे फूल
गाछ झूल-झूल

पात मे छाह
गाछ वाह! वाह!

गाछ मे आम
गमकैए गाम

गाछ मे मेघ
भीजैए खेत

पातमे उछाह
गाछ वाह! वाह!

4 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

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