प्यास- श्यामल सुमन

हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!
भूख लागल अछि एखनहुँ, उमिर बीत गेल!!
हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!
नौकरी की भेटल, अपनापन छूटल!
नेह डूबल वचन केर आश टूटल!!
दोस्त यार कतऽ गेल, नव-लोक अपन भेल!
गाम केर हम बुधियार, एतऽ बलेल!!
हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!

आयल पाविन-त्योहार, गाम जाय केर विचार!
घर मे चचार् केलहुँ तऽ, भेटल फटकार!!
निह नीक कुनु रेल, रहय लोक ठेलम ठेल!
किनयाँ कहली जाऊ असगर, आ बन्द क खेल!!
हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!
की कहू मन के बात, छी पड़ल काते कात!
लागय छाती पर आबि कियो राखि देलक लात!!
घर लागय अछि जेल, मुदा करब निह फेल!
नवका रस्ता निकालत, सुमन ढ़हलेल!!
हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!

8 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. नवका रस्ता निकालत, सुमन ढ़हलेल!!

    nik

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  2. हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!
    भूख लागल अछि एखनहुँ, उमिर बीत गेल!!
    हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!
    नौकरी की भेटल, अपनापन छूटल!
    नेह डूबल वचन केर आश टूटल!!
    दोस्त यार कतऽ गेल, नव-लोक अपन भेल!
    गाम केर हम बुधियार, एतऽ बलेल!!
    हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!

    आयल पाविन-त्योहार, गाम जाय केर विचार!
    घर मे चचार् केलहुँ तऽ, भेटल फटकार!!
    निह नीक कुनु रेल, रहय लोक ठेलम ठेल!
    किनयाँ कहली जाऊ असगर, आ बन्द क खेल!!
    हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!
    की कहू मन के बात, छी पड़ल काते कात!
    लागय छाती पर आबि कियो राखि देलक लात!!
    घर लागय अछि जेल, मुदा करब निह फेल!
    नवका रस्ता निकालत, सुमन ढ़हलेल!!
    हमर गाम छूटि गेल, पेट भरवाक लेल!

    श्यामल सुमन जी,
    बड्ड नीक प्रस्तुति

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  3. अहाँ सभहक शाब्दिक समर्थनक हेतु हार्दिक धन्यवाद
    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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