1.हम
— ब्रज मोहन झा ”सोनी”
हम पत्रकार छि,
कुडा के ढेर पऽ पडल,
बिन तारऽक सितार छि ।
हम कथाकार आ
गित गजलकार छि
आगुमे डा. होइतो अर्थऽक बिमार छि
बन्द आ हडतालमे
अर्जुनऽक ढाल घटोतकच बनल
नेताके हथियार छि ।
हम गामघरऽक अकला
घरऽक फुटल तसला
मसोमातऽक भतार हम
नाटकऽक अचार छि ।
कियक त हम यूवा
पैघ बेरोजगार छि ।
कियक त हम यूवा
पैघ बेरोजगार छि ।
2.उदासी
— ब्रज मोहन झा ”सोनी”
डेग डेग पऽ गाम सहरमे
सगरो नोर भोकासी अछी,
नोर बहा लोक सुती रहल
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
ओइ दिन ओकरा घर चोर गेलै,
कयलौ हल्ला होशीयारी लेल,
डरे चोरबऽक हनलक गब्दी ,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
चोरबो पिटलक दोसरो डटलक
कानुनमे हमरा फँासी अछी ।
घुस खाऽ जज छोडी देलक,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
चुप रहने संरक्षण भेटत
बाजब बडका बदनामी अछी ।
ई बात हमर गुरुजन कहलक,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
आइ फेर देखलीयै सेन्ह पडैत,
”सोनी” सोनाके गाछी अछी ।
ई देखी सब केव भेल प्रशन्न,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
ब्रज मोहन झा ”सोनी”
,बनौटा – ५ (महोत्तरी)
— ब्रज मोहन झा ”सोनी”
हम पत्रकार छि,
कुडा के ढेर पऽ पडल,
बिन तारऽक सितार छि ।
हम कथाकार आ
गित गजलकार छि
आगुमे डा. होइतो अर्थऽक बिमार छि
बन्द आ हडतालमे
अर्जुनऽक ढाल घटोतकच बनल
नेताके हथियार छि ।
हम गामघरऽक अकला
घरऽक फुटल तसला
मसोमातऽक भतार हम
नाटकऽक अचार छि ।
कियक त हम यूवा
पैघ बेरोजगार छि ।
कियक त हम यूवा
पैघ बेरोजगार छि ।
2.उदासी
— ब्रज मोहन झा ”सोनी”
डेग डेग पऽ गाम सहरमे
सगरो नोर भोकासी अछी,
नोर बहा लोक सुती रहल
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
ओइ दिन ओकरा घर चोर गेलै,
कयलौ हल्ला होशीयारी लेल,
डरे चोरबऽक हनलक गब्दी ,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
चोरबो पिटलक दोसरो डटलक
कानुनमे हमरा फँासी अछी ।
घुस खाऽ जज छोडी देलक,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
चुप रहने संरक्षण भेटत
बाजब बडका बदनामी अछी ।
ई बात हमर गुरुजन कहलक,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
आइ फेर देखलीयै सेन्ह पडैत,
”सोनी” सोनाके गाछी अछी ।
ई देखी सब केव भेल प्रशन्न,
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
ब्रज मोहन झा ”सोनी”
,बनौटा – ५ (महोत्तरी)
ब्रजमोहन झा "सोनी" जी, मैथिल आर मिथिलामे अहाँक आगमन एहि ब्लॉगकेँ आर सुवासित बना देलक। अहाँसँ आर ढेर रास रचनाक भविष्यमे सेहो आशा रहत।
जवाब देंहटाएंहम पत्रकार छि,हम कथाकार आ
जवाब देंहटाएंahaank ham kavita hriday me tis delak teडेग डेग पऽ गाम सहरमे
सगरो नोर भोकासी अछी,
नोर बहा लोक सुती रहल
तँय हमरो छायल उदासी अछी ।
udasi kavita jhankrit kay delak.
badd nik
ee blog te din par din chandrama jeka badhal ja rahal achi, kichu aan blog me chandramak ghatanti dekhal ja rahal achi, muda etay mithila aar maithil blog me poornima sada rahat se vishvas achhi,
जवाब देंहटाएंdunu kavita bad nik lagal
जवाब देंहटाएंutkriskt rachna sabhak bhadar achi ee site, parishramak parinam sarvada nik hoit achi, rang roop me seho utkrishta aayal acchi rachane jeka.
जवाब देंहटाएंdunu kavita mon ke chhobay me saphal achi.
जवाब देंहटाएंbad nik
जवाब देंहटाएंबहुत निक प्रस्तुति अछि अहिना अपन निक निक रचना प्रस्तुत करैत रहब से आशा अछि !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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