आदर्शवादी शिक्षक - कथा सागर - जितमोहन झा (जितू)

प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्यसेन बंगालक एक स्कुल मे अध्यापक रहथिन ! ओहि समय स्कुल मे वार्षिक परीक्षा चलैत छल ! जै रूम मे सूर्यसेनक ड्यूटी लगलनि ओहि रूम मे प्रधानाध्यापकक बेटा सेहो परीक्षा दैत छल ! सूर्यसेन हुनका नक़ल करैत पकड़लखिन परीक्षा सँ बाहर केँ देलखिन ! जखन परीक्षाक परिणाम आयल तँ प्रधानाध्यापकक बेटा फेल छल ! स्कुलक सभ अध्यापक s लगलनि जे आब सूर्यसेनक नौकरी गेलनि ! एक दिन अचानक सूर्यसेनकेँ प्रधानाध्यापकक बुलाबा एलनि !

प्रधानाध्यापक सूर्यसेन s स्नेह पूर्वक कहलखिन "हमरा जैनकेँ ख़ुशी भेल जे हमर स्कुल में आहा जेहेंन कर्तव्यनिष्ठ आदर्शवादी अध्यापक छैथ ! जे हमर (प्रधानाध्यापकक) बेटोकेँ दंड दै मेंs संकोच नञि केलैथ ! यदि अपने ओकरा नक़ल केला के बादो पास s देतो तँ हम अपनेक बर्खास्त क's देतहु" तहि पर सूर्यसेन तपाकसँ कहलखिन "यदि अपने हुनका पास करै केs लेल मजबूर करतो s हम इस्तीफा द् देतो!" सूर्यसेन अपन जेब s त्यागपत्र निकैल केs हुनका (प्रधानाध्यापक) केँ देखबैत कहलखिन, आय हम एकरा अपन संग आनने छलो ! तहि दिन सेs प्रधानाध्यापक महोदय सूर्यसेनक प्रशंसक बैन गेलाह ......

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