कान्तिपुर, नेपालक तुलजाभवानी मंदिरक शिलालेख पर अंकित प्रतापमल्लक मैथिली गीत





कवीन्द्र प्रतापमल्ल(१६४१-७४)- नरसिंहमल्लक पश्चात् कान्तिपुरक राजसिंहासनपर बैसलाह। हिनकर भक्तपुर, पाटन आऽ मधेसपर धाक छलन्हि। हिनकर वैवाहिक सम्बन्ध कूचबिहारक राजा वीरनाराय़णक पुत्री रूपमती, कर्णाट-कन्या राजमती, महोत्तरी राज्याधिप कीर्तिनारायणक पुत्री लालमीत ओ अनन्तप्रिया, प्रभावतीक सग छलन्हि। संस्कृत, नेवारी, मैथिली आऽ नेपालीक संग आन भाषा सभक विद्वान् छलाह आऽ तिरहुता समेत पन्द्रह तरहक लिपिक सूचना हुनकर शिलालेखमे प्राप्त होइत अछि।

हेरह हरषि दूष हरह भवानि।
तुअ पद सरण कएल मने जानि।।

मोय अतुइ दीन हीन मति देषि।
कर करुणा देवि सकल उपेषि॥

कुतनय करय सहस अपराध।
तैअओ जननि कर वेदन बाध॥

परतापमल्ल कहए कर जोरि।
आपद दूर कर करनाट किशोरि॥

17 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. जितेन्द्र झा (जीतू) जी, अहाँ मिथिला आर मैथिलपर स्वागत अछि। नेपालक मैथिल समाज आऽ साहित्यसँ एहिना आगाँ सेहो अहाँ हमरा लोकनिक परिचय करबैत रहब, से आशा अछि। आइ एहि ब्लॉगमे एकटा आर विशेषता जुड़ि गेल।
    গজেন্দ্র ঠাকুব

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  2. आदरणीय झाजी प्रणाम
    मैथिल आर मिथिला पर अपनेक स्वागत अछि ! अपनेकेँ एहीठाम देखि काँ बहुत खुश भेलो जकर दुईगोट कारण अछि, पहिलुक ई जे आहाकेँ आर हमर नाम एके अछि, दोसर अपने नेपालसँ पधारल छी ! सच पुछूतँ आई अपनेक उपस्थितिसँ हम महसूस केलो की हमर मेहनत सफल भोs गेल ! अपनेसँ हमर अनुरोध अछि जे नेपालक सभ मैथिली प्रेमी लोकेनकेँ एहिठाम जोरे के प्रयास करब ....


    धन्यवाद ....

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  3. परतापमल्ल कहए कर जोरि।
    आपद दूर कर करनाट किशोरि॥

    bah, bar nik jitendra ji.

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  4. jitendra ji ahan ke aagman ehi blog ke sundarta me chari chand laga delak

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  5. नमस्कार जीतू जी। शुरुआत बड्ड नीक। आब अपन लिखल रचना सेहो पोस्ट करू, बेसब्रीसँ प्रतीक्षा क' रहल छी।

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  6. हेरह हरषि दूष हरह भवानि।
    तुअ पद सरण कएल मने जानि।।

    मोय अतुइ दीन हीन मति देषि।
    कर करुणा देवि सकल उपेषि॥

    कुतनय करय सहस अपराध।
    तैअओ जननि कर वेदन बाध॥

    परतापमल्ल कहए कर जोरि।
    आपद दूर कर करनाट किशोरि॥
    bah

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  7. उच्चस्तरीय रचना अछि एतए।

    डॉ. पालन झा

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  8. हेरह हरषि दूष हरह भवानि।
    तुअ पद सरण कएल मने जानि।।

    jay ma, jhuma delau jitu bhai, dunu jitu bhai

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  9. जितमोहन जी अहां के ब्लोग बहुत मौलिक अईछ.डिजाईन और सन्ग्र्ह अत्यंत उत्तम श्रेणी के अईछ। ब्लोग्गिं जारी राखू । बेस्ट Wishes !

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