
मिथिलाक ध्वज ग़ीत- गजेन्द्र ठाकुर
मिथिलाक ध्वज फहरायत जगतमे,
माँ रूषलि,भूषलि,दूषलि, देखल हम,
अकुलाइत छी, भँसियाइत अछि मन।
छी विद्याक उद्योगक कर्मभूमि सँ,
पछाड़ि आयत सन्तति अहाँक पुनि,
बुद्धि, चातुर्यक आ’ शौर्यक करसँ,
विजयक प्रति करू अहँ शंका जुनि।
मैथिली छथि अल्पप्राण भेल जौँ,
सन्ध्यक्षर बाजि करब हम न्योरा,
वर्ण स्फोटक बनत स्पर्शसँ हमर,
ध्वज खसत नहि हे मातु मिथिला।
ई ध्वज गीत नीचाँक संगीत-लएमे गओला उत्तर विशेष प्रभाव प्रदान करत।
Music Notation by Shri Ramashraya Jha "Ramrang" Guru of Shubha Mudgal
राग वैदेही भैरव त्रिताल(मध्य लय)
स्थाई
सां
म
धसां धप म (-) रे – सा सा सा रे॒ म – प ध प
सां
प ध – ध सां – सां धसां रें – सां सां धसां धप म, धसां धप म (-)
अन्तरा
प ध सां ध सां सां सां ध – रें॒ – मं रें॒ –सां सां सां – ध प म - - प म रे॒ – सा रे॒ – सा सा- रे॒ म - प ध ध सां ध सां- सां रें॒ रें॒ सां सांमप धसां धसां रें॒सां धसां धप म,सां

२। ध्वज-गीत गओलाक बाद लक्ष्यक हेतु प्रयाण करी। ई मूर्ति गौरी-शंकर छन्हि जाहिपर १२०० वर्ष पूर्वक पालकालीन मिथिलाक्षरमे अभिलेख अंकित अछि।
पथक पथ- गजेन्द्र ठाकुर
स्मृतिक बन्धनमे
तरेगणक पाछाँसँ
अन्हार गह्वरक सोझाँमे
पथ विकट। आशासँ!
पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।
विश्वक प्रहेलिकाक
तोड़ भेटि जायत जौँ
इतिहासक निर्माणक
कूट शब्द ताकब ठाँ।
पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।
विश्वक मंथनमे
होएत किछु बहार आब
समुद्रक मंथनमे
अनर्गल छल वस्तु-जात
पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।
आइ काल्हिक फकडा बला कविता पढि-पढि मोन घोर भेल रहैत छल। भाषा आ' लय पर पकड जबर्दस्त अछि स्रीमन, ईशनाथ झा मोन पडि गेलाह।
जवाब देंहटाएंee dunoo padya padhlak baad maatra kahi sakait chhi, kavi pranam, jinaka ee dunoo geet suni josh nahi ayatanhi se bujhoo maritake hetaaha.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, एहिना उत्साहवर्धन करैत रहू।
जवाब देंहटाएंdunoo rachna adviteey achhi
जवाब देंहटाएंमिथिलाक ध्वज फहरायत जगतमे,
जवाब देंहटाएंमाँ रूषलि,भूषलि,दूषलि, देखल हम,
अकुलाइत छी, भँसियाइत अछि मन।
छी विद्याक उद्योगक कर्मभूमि सँ,
पछाड़ि आयत सन्तति अहाँक पुनि,
बुद्धि, चातुर्यक आ’ शौर्यक करसँ,
विजयक प्रति करू अहँ शंका जुनि।
मैथिली छथि अल्पप्राण भेल जौँ,
सन्ध्यक्षर बाजि करब हम न्योरा,
वर्ण स्फोटक बनत स्पर्शसँ हमर,
ध्वज खसत नहि हे मातु मिथिला।
bah aa eeho
स्मृतिक बन्धनमे
तरेगणक पाछाँसँ
अन्हार गह्वरक सोझाँमे
पथ विकट। आशासँ!
पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।
विश्वक प्रहेलिकाक
तोड़ भेटि जायत जौँ
इतिहासक निर्माणक
कूट शब्द ताकब ठाँ।
पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।
विश्वक मंथनमे
होएत किछु बहार आब
समुद्रक मंथनमे
अनर्गल छल वस्तु-जात
पथक पथ ताकब हम
प्रयाण दीर्घ भेल आब।
bah
dunoo padya bar utkrishta.
जवाब देंहटाएंमिथिलाक ध्वज फहरायत जगतमे
जवाब देंहटाएंsphoorti aani delak dunu rachna
bad nik kavita
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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