छौयर के एलो कमाय लै (मैथिली कविता) : अजीत झा

रहुअक मुड़ा,
दही और चुड़ा, 
याद दियाबै यै,
गाम से जतरा,
आमक कतरा,
बहुत कनाबै यै,
यौ, खिस्सा पिहानी के,
मैय के और नानी के,
छौयर के एलो कमाय लै,
रोदी और दाही के,
गामक बलसाही के,
छौयर के एलो कमाय लै,

बन्ह्की लागल जवानी,
कियो ठकै या करै बईमानी,
भूख, सब सहाबैयै,
सुन्दर गाम,
अपन ठाम,
याद बड़ आबैयै,
यौ, बुरहवा के बीमारी के,
मैय के हाथक सोहारी के,
छौयर के एलो कमाय लै,
खेतक खेसारी के,
गमक बैसारी के,
छौयर के एलो कमाय लै,

दिन ज घुरैबतैथ ,
गाम में नौकरी दियैबतैथ,
संग ल जयतौ अपन गाम,
नय खिस्सा सुनैबतौ,
प्रत्यक्ष देखैबतौ,
माँ जानकी के सुन्दर ठाम,
यौ, कानैत मोअन भारी से,
कनैत घरवारी के,
छौयर के एलो कमाय लै,
कुशेश्वर बाबा दानी पर,
घर के सब प्राणी के,
छौयर के एलो कमाय लै,

लेखक केँ संक्षिप्त परिचय....

नाम : अजीत झा
गाम : बड़की तरौनी (दरभंगा)
हिनक एकटा कविता संग्रह  'मेरा गांव मेरे खेत' हिन्दी मे प्रकाशित अछि आओर दोसर कविता संग्रह प्रकाशनाधीन अछि।